जी हाँ दोस्तों, आपने कुछ महीनो से देखा होगा कि कैसे दिल्ली में राष्ट्रमंङल खेलो की तैयारी जोरो शोरो से हो रही है. हर कोई चाहे नेता हो, पुलिस हो, कामकाज करने वाला व्यक्ति हो या फिर मेरी तरह छात्र हो, सब किसी न किसी बहाने से इसकी तैयारी में लगे हुए है.
लेकिन आपने कभी सोचा है, इन सबसे दूर हमारे समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है, जिसे इन राष्ट्रमंङल खेलो से कोई लेना देना नहीं है. उनको तो बस एक वक्त की रोटी मिल जाये, वे उसी में खुश है. उनके लिए यह तैयारी बेकार है. उन्हें कोई मतलब नहीं है कि दिल्ली सोने की तरह चमके , उनको तो बस सोने के लिए जगह चाहिए.
अब आप समझ ही गए होंगे कि मै किस वर्ग की बात कर रहा हूँ. जी हाँ मै गरीबी रेखा से नीचें रहने वाले उस वर्ग की बात कर रहा हूं जिसके लिए राष्ट्रमंङल खेल एक अपरिचित शब्द है.उन्हें तो बस इतना पता है कि पूरी दिल्ली किसी खास कार्यक्रम की तैयारी कर रही है जैसे चुनाव से पहले करती है..
वैसे अब आप सोचिये इन सब में हम अपने आप को कहां पाते है..हम उन्ही नेताओं, पुलिस , छाञ, और कामकाज करने वाले लोगो में से एक है जो एक और तो राष्ट्रमंङल खेलो के आयोजन से अपने को गौरवांवित महसूस कर रहे है किन्तु साथ ही दूसरी ओर राजधानी या देश में रहने वाले उन तमाम देशवासियों ,उन गरीबो के हित में भी सोच रहे है जिनके लिए खेल का मतलब पेट की आग बुझाना है .वही आम आदमी जो पहले इनके बारे में सोचते थे,अगर कुछ कर भी नहीं पाते थे तो उनके लिए आवाज जरुर उठाते थे. लेकिन राष्ट्रमंङल खेलो के आते ही, हम सब कुछ ऐसे भूल गए है,जेसे हमे इस गरीब वर्ग से कुछ लेना देना नहीं है.वे भूखे मरते है तो मरते रहे, हमे तो बस अपनी दिल्ली को सोने की तरह से राष्ट्रमंङलखेलो के लिए सजाना है.ताकि बाहर से आने वाले विदेशियों को हमारी दिल्ली इतनी सुंदर लगें कि वे यहाँ बार बार आये. मगर हम यह भूल जाते है जब तक हमारी दिल्ली के गरीबो की शान नहीं बढेगी, तब तक दिल्ली की शान नहीं बढेगी. फिर हम चाहे उपर से कितना ही दिखावा क्यों न कर ले.
और तो और सुचना का आधिकार कानून के तहत एक रिपोर्ट सामने आई है कि गरीब वर्ग की मदद के लिए रखे गए करोडो रुपयों को सरकार राष्ट्रमंङल खेलो में लगा रही है, क्योकि सरकार का बजट राष्ट्रमंडल खेलो के लिए तय किय गए बजट से उपर चला गया है. इससे तो यह साफ जाहिर है सरकार को इन गरीबो की भूख और रहन- सहन से कोई लेना देना नहीं है. इन्हें तो बस अपनी इज्जत के लिए दिल्ली को सवारना है.
राष्ट्रमंडल खेलो की तैयारी करना अच्छी बात है, क्योकि ऐसे मौके बार बार नहीं मिलते. लेकिन इन सब के बीच हम उन लोगो को केसे भूल सकते है जो हमारे समाज और दिल्ली का एक महत्वपूर्णःहिस्सा है. इसलिए हमारी और सरकार की यह जिम्मेदारी है कि हम एक कर्तव्य को पूरा करने के लिए दुसरे कर्तव्य को न भूले
................जय हिंद.............................
sir,your emotions r valuable but u r very late.
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