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Monday, October 4, 2010

swimming 2010

Shubha Chittranjan reached into semis of 50 mtr butterfly.Indian men reached into final of  4+100 freestyle relay on the first day of cwg2010 acquatic championship here at spm swimming pool

Friday, October 1, 2010

Top ten Medal Winning Countries at the Commonwealth Games ,1930-2006/Suresh Kumar Lau

The Indian medal tally since 1930 Commonwealth Games/Suresh Kumar Lau

 
 

Thursday, September 30, 2010

,PROMOTE DRUG FREE SPORTS & WIN CLEAN/Dr.Shila Jain,Dr.Jawahar Lal Jain


CHECK BEFORE USE IF IN DOUBT

. Important changes in 2010


. Recommended precautions


. Quick reference for Common Medication

TREATMENT GUIDELINES

ASTHMA : INHALERS AND BRONCHODILATORS

PERMITTED : Only with advanced medical notification in aerosol form or by inhalation

[ Beta-2 Agonists Salbutamol (Aerotaz, Asthalin) if conc.is less than 1600 microgram/over 24 hours]& Salmetrol by inhalation.

Oral Tab/Syp – Deriphylline, Unicontin, O-D phyllin , Doxolin

PROHIBITED : Asthalin, Bricanyl, Bambudil.
COUGH, COLD, FLU:

PERMITTED : All antibiotics, Corex, Bromhexine, Benadryl, Alex, Corex-DX

PROHIBITED – Pseudoephedrine (Alerid-D, zyncel-D, Cetrizet-D) prohibited if its conc.more than 150 microgram/ml.

DIARRHOEA :

PERMITTED: Imodium, Diarlop, Brakke, Tiniba, Flagyl

PROHIIBITED: Products containing Morphine.

PAIN / INFLAMMATION :

PERMITTED: All non-Steroidal Anti-Inflammatory like Brufen, Nimulid, Crocin, Voveran, Supanac, Retoz, Aroff, Flexon, Dolonex-DT.

PROHIBITED: Oral Corticosteroids- Medrol, Wyslone, Defcort.

Products containing Morphine, Fortwin, Pethidine.

SORE THROAT

PERMITTED: Soluble Aspirin, Disprin or Paracetamol gargle


VOMITING & ACIDITY

PERMITTED-Domstal, Stemetil, Perinorm, Rantec, Omez, Razo, Happi XT, Pan 40


SKIN CONDITIONS

PERMITTED: Local application creams are allowed e.g. Neosprin, Betadine, Betnovate-N, Flucort-N and do not require any therapeutic use exemption.

CONTRACEPTION
PERMITTED- All oral contraceptives are permitted e.g. Primolut-N, Ovral-L, Ovral, Orgametrine

THESE ARE EXAMPLES ONLY AND NOT A COMPLETE LIST .


RECOMMENDED PRECAUTIONS

•Do not take any medication given to you by others (athletes, coach etc.) without checking them first from the WADA list.
• ASTHMATICS- Ensure that your medication is ‘permitted’ and use is notified if necessary.

• Vitamins, herbal and nutritional supplements may contain banned substances not listed on the label. Use of these products is at the athlete’s own risk. (Note:DHEA, Vita Ex-gold are banned).

• Marijuana is banned.

• Alcohol is banned only in a few particular sports during competition e.g. Archery, Karate, Motorcycling, Modern Pentathlon, Bowling (FIQ) Powerboating, Automobile (FIA), Aeronautic.

E-mail: jljain@hotmail.com

Wednesday, September 29, 2010

डोपिंग/ डॉ. जवाहर लाल जैन

वाडा यानी विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी के स्पष्ट निर्देष हैं कि वाडा की गाईडलाईन्स को सभी भारतीय भाषाओं में उपलबध होना चाहिये|किंतु डोपिंग पर सभी भारतीय भाषाओं की तो बात छोड़ दे,किंतु संविधान की राजभाषा हिंदी में भी सामग्री भारतीय ओलंपिक संघ ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये उपलब्ध नहीं करायी है|इस ब्लॉग पर पहली बार डोपिंग के मूलभूत अर्थ को न केवल समझाने का बल्कि वाडा के निर्देषों का भी उल्लेख किया जा रहा है|
संपादक..
 
डोपिंग


डॉ. जवाहर लाल जैन(खेल चिकित्सा विशेषज्ञ)





आज हर खिलाड़ी आकाश की उन बुलंदियों को छूना चाहता है जहां उससे पहले कोई गया ना हो, इसी कशमकश में वह कोई भी तरीका अपनाने के लिये तैयार हो जाता है चाहे वह जायज़ या नाजायज़, वैध या अवैध वह छोटे से छोटे रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुँचना चाहता है और पदक जीतने की लालसा उसे प्रतिबंधित दवाओं की ओर अग्रसर करती हैं । डोंपिग का इतिहास बहुत पुराना है। तीसरी शताब्दी बी.सी में ग्रीक चिकित्सक गैलेन के अनुसार प्राचीन ग्रीक खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये स्टिमुलैन्ट (उत्तेजक) दवाओं का प्रयोग करते थें। खेल जगत में दवाओं के प्रयोग का सबसे सनसनीखेज हादसा हुआ 1988 के सिओल ओलंपिक के दौरान जब कनाडा के तेज धावक बैन जॉन्सन ने 100 मीटर दौड़ का अपना ही वि’व रिकार्ड तोड़ दिया। उसने 100 मीटर की दूरी 9.79 सैकन्ड में पूरी की। बैन जॉन्सन को एनाबॉलिक स्टीरोयड (स्टैनोजेलोल) को प्रयोग करने के अपराध में न केवल अपने स्वर्ण पदक से हाथ धोना पड़ा बल्कि पूरी दुनिया में न जॉन्सन अपनी फर्राटा दौड़ की वजह से कम और बल्कि दवाओं के अनुचित प्रयोग की वजह से ज़्यादा चर्चित हो गए ! इस हादसे से पूरी दुनिया के खेल जगत में एक तहलका मच गया ! बैन जॉन्सन पर दो वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया। दूसरी बार फिर 1993 में बैन जॉन्सन ऐनाबोलिक स्टीरोयड (टैस्टोस्टीरोन) के सेवन का दोषी पाया गया और उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया। 1990 के राष्ट्रमंडल खेल ऑकलैंड न्यूजीलैंड में भरतीय भारत्तोलक सुब्रतो पाल को ऐनाबोलिक स्टीरोयड के सेवन के लिए दोषी पाया गया । खेल जगत में इस प्रकार के हादसे शायद चलते ही रहेंगे !


आज सर्वप्रथम आवश्यक है कि हमारे खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों व खेल अधिकारियों को खेल में प्रतिबंधित दवाओं की पूर्ण सूची, उनके प्रभाव व दुष्प्रभाव की जानकारी हो। इन्हीं सब चीजों को नज़र में रखते हुए 1961 के टोक्यो ओलंपिक के दौरान खेल अधिकारियों ने विशेष रूप से यह महसूस किया कि खेल खेल भावना से, ईमानदारी से और बिना दवाओं के प्रयोग के खेले जाने चाहिए तभी अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने खेल में प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी करनी शुरू की
करीब हर वर्ष अब उसमें 2-3 दवायें बढ़ा दी जाती है । देखना यह है कि क्या अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ के अथक प्रयास इस दिशा में कुछ कर सकेंगे ।


डोपिंग की परिभाषा

खेल जगत में अनेक वर्षों से चली आ रही बेईमानी, जिसे नियंत्रण करना असंभव सा प्रतीत होता है, जो न किसी रैफरी, अम्पायर या जज को दिखाई देती है|
यह बेईमानी से शरीर के अन्दर की जाती है और आज इसे डोपिंग की संज्ञा दी जाती है । किसी भी प्राकृतिक या अप्राकृतिक पदार्थ को शरीर में लिया जाना और किसी भी रास्ते से जैसे मुंह से, इंजैक्शन से, नस से, फेफड़ों में सूँघकर या गुदा द्वारा अपने प्रदर्शन को बढ़ाने की मुख्य इच्छा से, बिना किसी इलाज के इरादे से उसे डोपिंग का नाम दिया जाता है और जब एथलीट को दवा परीक्षण किया जाता है तब उन्हें पेशाब का नमूना देने के लिये कहा जाता है। अत्यंत आधुनिक तकनीकों को प्रयोग कर उस पेशाब के नमूने में से खिलाड़ियों द्वारा प्रयोग की गई दवाओं का विश्लेषण किया जाता है । डोपिंग की इस परिभाषा को प्रयोग में लाने के लिए विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी ने कुछ प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी की है और समय समय पर कुछ दवाओं को बढ़ाने का निर्णय भी लिया जाता है ।
विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी द्वारा प्रतिबंधित दवाओं की सूची, वर्ष - 2010

1. प्रतिबंधित दवाओं की विभिन्न श्रेणियॉं

एस-1 एनाबोलिक एजेंन्ट्स


एस-2 हॉरमोन्स, ग्रोथ फैक्टर्स व संबंधित पदार्थ


एस-3 बीटा-2 ऐगोनिस्ट


एस-4 हॉरमोन एंटागोनिस्ट व मोडुलेटर्स


एस-5 डाइयूरेटिक्स एंव अन्य मास्किंग पदार्थ



2. प्रतिबंधित तरीके

एम-1 रक्त डोपिंग, ई.पी.ओ


एम-2 फार्माकोलोजिकल, रासायनिक एंव भौतिक हस्तोपचार


एम-3 जीन डोपिंग
नीचे लिखे पदार्थ सिर्फ प्रतियोगिताओं में ही प्रतिबंधित है जैसे-

एस-6 स्टिमुलैंट्स


एस-7 नारकोटिक्स


एस-8 कैनाबिनोयडस्


एस-9 ग्लूकोकोर्टिकोस्टीरोयडस्

3. कुछ विशेष खेलों में ही प्रतिबंधित

पी-1 एल्कोहल (शराब)


पी-2 बराब्लाकर्स


एस-1- ऐनाबोलिक ऐजेन्स्ट्स- यह पुरूषों में प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला हॉरमोन टैस्टोस्टीरोन एंव उसके डेरीवेटिव हैं
ये गोलियॉं, इंजैक्शन, डरमल पैच के रूप में उपलब्ध है
मुख्य उदाहरण- टैस्ओस्टीरोन, नैन्ड्रोलोन, मिथाइल टैस्टोस्टीरोन स्टेनोज़ोलोल वगैरह ऐनाबोलिक स्टीरोयड मॉंसपेशियों को बनाते हैं और कैटाबोलिक प्रभाव को कम करते है

इन दवाओं के सेवन से पुरूषों में दुष्परिणाम आने लगते है जैसे- शुक्राणुओ की मात्रा में कमी, नामर्दगी, स्तनों का आकार बड़ा होना, पेशाब करने में दर्द या परेशानी, समय से पहले गंजा होना, प्रोस्टेट ग्रंथि का बड़ा होना एंव सूजन ।

महिलाओं में दुष्परिणाम- पुरूषों जैसे फीचर्स आ जाना, मॅंह पर बालों का उग आना, आवाज़ का भारी होना, स्तनों का आकार छोटा होना, मुँह पर मुहांसे, मासिक धर्म में अनियमितता वगैरह ।


बीटा-2 ऐगोनिस्ट-ये सभी प्रतिबंधित हैं
केवल साल्ब्यूटामॉल अधिकतम स्तर 1600 माइक्रोग्राम@एम एल 24 घंटे में एंव सूँघने द्वारा साल्मीटरोल । इनके प्रयोग के लिये टी.यू.ई. नामक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है ।


उदाहरण- बैक्यूडिल, बीराडे, फोमटाज़, ऐस्थेलिन, ब्रिकानिल सूंघने के तरीके (इन्हेलर या नेबूलाईज़र) के ज़रिये से साल्ब्यूटामोल की इज़ाज़त है बशर्ते स्तर 1000 नैनोग्राम प्रति मिली. से ज़्यादा न हो ।


डाइयूरेटिक्स - यह दवाएं शरीर से अधिक एकत्रित पानी को निकालने के काम आती है और कुछ स्थितियों जैसे उच्च रक्त चाप के इलाज में प्रयोग होती है । खिलाड़ी इस दवा का सेवन अपना वज़न कम करने के लिये उन खेलों में जहॉं वज़न कैटेगरी हो और दवाओं की मिकदार को कम करने के लिये । मुख्यतः इसे बॉक्सर, कुश्ती बाज, भारोत्तोलक प्रयोग करते है ।


मुख्य उदाहरण - एमीलोराइड, ब्यूमैटानाइड, हाइड्रोक्लोरथाइज़ाइड, फ्रसामाइड वगैरह


2003 क्रिकेट विश्व कप के दौरान आस्ट्रेलियाई स्पिन गेंदबाज़ शेन वॉर्न एमीलोरोइड नामक डाइयूरेटिक के सेवन के दोषी पाये गये थे ।
स्टिमुलैन्ट्स - यह वह दवाऐं है जो थकान दूर करती हैं और प्रतिद्वदिता बढ़ाती है, व्यक्ति को चुस्त करने में मदद करती है, इन दवाओं के सेवन से चिन्ता, कंपन, दिल की गति को बढ़ना, रक्त चाप का बढ़ना, फालिस वगैरह देखे जाते है ।


विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी ने वर्ष 2010 की सूची में एक स्टिमुलैट को सूची में बढ़ाया है जो है मिथाइल हैकसानामिन यह नॉनस्पेसिफिक स्टिमुलैन्ट 2009 तक प्रतिबंधित सूची में नहीं था। यह खिलाड़ी नाक में डालने के लिये प्रयोग करते थे न्यूजीलैंड में यह पार्टी पिल के रूप में प्रयोग होती थी। यह डायटरी सप्लीमैंट के रूप में प्रयोग होती है जिसे एक्स-फोर्स या नॉक्सपंप के नाम से अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में उपलब्ध है । फ्लोरड्रीन के नाम से भी यह उपलब्ध है । यह भी कहा जाता है कि जेरेनियम नामक तेल में यह दवा पाई जाती है और इस तेल का प्रयोग कुछ पुडिंग, सॉस वगैरह में भी किया जाता है यहॉं तक कि फेस पैक में भी जेरेनियम तेल की मात्रा देखी जाती है ।


वर्ष 2011 से मिथाइल हैक्सानामिन को स्पैस्किसाइड स्टिमुलेन्ट्स की सूची में डाल दिया गया है ।


मुख्य उदाहरण-


स्टिमुलैट्स - ब्रोमेन्टन, फैन्केमिन, मिसोकार्ब, एडरीनेलिन, कैथिन, एकीड्रिन, स्यूडोएफीड्रिन


एफीड्रिन तभी प्रतिबंधित है जब पेशाब में उसकी मात्रा 10 माइकोग्राम@मिली. से अधिक हो ।


स्यूडोएकीड्रिन तभी प्रतिबंधित है जब उसकी मात्रा 150 मिग्रा@मिली से अधिक हो ।

 
नारकोटिक्स (दर्द नाशक दवायें) नारकोटिक्स ग्रुप में ’शक्तिशाली दर्दनाक दवाएं आती हैं, हालांकि ये दवाएं खिलाड़ी का प्रदर्शन नहीं सुधारती है। लेकिन चूंकि प्रतियोगिता का इतना दबाव खिलाड़ी पर होता है कि चोटग्रस्त होने के बावजूद वह इन दवाओं का सहारा लेकर खेलता रहता है जिससे उसकी चोट और गंभीर हो सकती है और उसे पता भी नहीं लगता ।


नारकोटिक्स दवाओं को दुष्प्रभाव


- मितली आना, उल्टी, चक्कर, खारिश, कब्ज़


- दौरे, गफलत, धुंधलाहट, पार्किन्सन रोग


कुछ प्रतिबंधित नारकोटिक्स


- ब्यूपरिनोरीफन, डैक्स्ट्रोमोरामाइड, मॉरफिन, पैथीडिन, पैन्टाजोसिन, ऑक्सीकोडोन, फैन्टेनिल वगैरह


नोट - कोडीन, डेक्स्ट्रोमिथोरफैन, ट्रेमेडोल, फोलकोडिन, प्रोपोक्सीफैन, इथाइलमॉरफिन, डैक्स्ट्रोप्रोपोक्सीफैन, डाइहाइड्रोकोडीन, डाईफिनोक्सीलेट प्रतिबंधित सूची में नहीं है ।

 
ग्लूकोकोर्टिकोस्टीसेयड्स - यह सूजन को कम करने वाली दवायें हैं । सभी ग्लूकोकोर्टिकोस्टीसेयड्स मुँह के द्वारा, नस में इंजैक्शन द्वारा, इन्ट्रामसकुलर इंजैक्शन द्वारा व गुदा द्वार द्वारा प्रयोग पर प्रतिबंध है । यह दवाएं नाक में, ऑंख में, मसूडों पर डाली जा सकती है और प्रतिबंधित नही है (लोकल एप्लीकेशन) यदि खिलाड़ी इन दवाओं को इन्ट्राआरटिकुलर, एपीडयूरेल, इन्ट्राडरमल या इनहेलेशन के तरीके से ले, तब टी.यू.ई. नामक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है




सामान्यतयः निम्नलिखित ग्लूकोकोर्टिको स्टीसेयड प्रतिबंधित सूची में आते है


- बैकलोमीथासोन


- बीटामीथासोन


- ब्यूडीसोनाइड


- डेसोनाइड


- डेक्सामीथासोन


- फ्लूडरोकोर्टिसोन


- फ्लूमीथासोन, फ्लूनीसोलाइड, मिथाइल प्रेडनीसोलोन, प्रेडनीसोलोन, प्रेडनीसोलोन, ट्रायमसिनोलोन


स्टीरोयड प्रिपारेशन्स को मुँह में, त्वचा पर, कान मे, नाक में, ऑंख में लगया जा सकता है और उस पर प्रतिबंध नहीं है,






कुछ विशेष परिस्थितियों में प्रतिबंधित दवायें (पदार्थ)


पी-1 शराब (एल्कोहल)- यह प्रतियोगिता के दौरान ही सिर्फ प्रतिबंधित है और वह भी केवल निम्नलिखित खेलों में एरोनोटिक्स, तीरंदा़जी, आटोमोबाइल, कराटे, मॉडर्न पैन्टाथालॉन, मोटर साइकिलिंग, नाइनपिन एंव टैन पिन बॉउलिंग, पॉवरबोटिंग


डॉपिंग वायेलेशन तभी समझा जायेगा जब रक्त में ’शराब की मात्रा 0.10 ग्राम प्रति मि.ली. से अधिक पायी जायेगी ।


सामान्यतयः शराब के सेवन से खेल प्रदर्शन में सुधार नहीं समझा जाता है । शराब के सेवन से एनऐरोबिक शक्ति प्रभावित होती है जबकि ऐरोबिक क्षमता, अधिकतम ऑक्सीजन लेने व ऑक्सीजन के प्रयोग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।


पी-2 बीटा ब्लाकर्स - बीटा ब्लाकर्स भी आज खेल में खिलाड़ियों द्वारा दुरूपयोग किये जाने वाला रोचक गु्रप है ये दवायें सामान्यतयः तीरंदाजी, निशानेबाज़ी, जिम्नास्टिक्स, गोल्फ, ब्रिज, बिलियर्ड, एंव स्नूकर, कुश्ती, सेलिंग, मॉडर्न पैन्टाथेलॉन, स्किंग, मोटरसाइकिलिंग वगैरह में प्रतिबंधित है। ये दवाएं सामान्यतयः दिल की गति को कम करती है एंव उच्च रक्तचाप को कम करती है । कुछ मुख्यः उदाहरण है


एटीनोलो, बीटाक्सेलोल, बाइसोप्रोलोल, कार्विडोलो, मेटाप्रोबोल, नेडोलोता, आंसप्रेनीलो, प्रोप्रेनोलोल, पिन्डोलोल, सेटेलोल, टाइमोलोल एंव संबंधित पदार्थ ।


आज के इस बदलते दौर में खिलाड़ी आर्युर्वेदिक (हर्बल) खुराक पदार्थ के पीछे दौड़ रहे है और कई बार जाने अनजाने में डोप में फंस जाते है । इसका जीता जागता उदाहरण है भारोत्तोलक कुजरानी देवी जो बीटा-एक्स गोल्ड नामक पदार्थ के सेवन में पकड़ी गयी जिसमें कूचिला नामक स्टिमुलैंट है और वह अंग्रेज़ी में स्ट्रिकनिन के नाम से जाना जाता है और स्ट्रिकनिन प्रतिबंधित है । आज आवश्यकता है कि खिलाड़ियों को उचित जानकारी से अवगत कराया जाये । प्रतिबंधित दवाओं की सूची प्रत्येक खिलाड़ी को दी जाये तभी खिलाड़ी खुद डोपिंग के दलदल में नहीं फसेंगा ।


नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेन्सी) को अधिक सकारात्मक रूख अपनाना होगा खिलाड़ियों को प्रतिबंधित व परमिसिबल दवाओं की सूची से अवगत कराना होगा। खेल वैज्ञानिकों की मौजूदगी व उनकी सहायता ही पदक के करीब पहुँचा सकती है । भारत में अब नेशनल डोप टैस्टिंग प्रयोगशाला उपलब्ध है जो नाडा (विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी) से मान्यता प्राप्त है और यह सभी आधुनिकतम उपकरणों से लैस है । हाल ही में सिंगापुर में सम्पन्न युवा ओलंपिक खेलों की टैस्टिंग भी दिल्ली की इस प्रयोगशाला ने की है और राष्ट्र मंडल खेलों की टैस्टिंग भी इसी प्रयोगशाला में होगी ।


यदि कोई खिलाड़ी अथक परिश्रम, उचित खुराक व खेल विज्ञान की मदद नहीं लेकर दवाओं के चक्कर में आकर डोप लेगा तो निश्चित ही वह पकड़ा जायेगा, इससे न केवल उसका नाम बल्कि देश की प्रतिष्ठा पर भी ऑंच आती है । अवैध तरीके छोड़कर ईमानदारी से पदक के दावेदार बनें ।





डॉ. जवाहर लाल जैन


खेल चिकित्सा विशेषज्ञ


मैडिकल एडमिनिस्ट्रेटर


दिल्ली विश्वविद्यालय

Tuesday, September 28, 2010

CWG and WADA (World Anti Doping Agency). /Dr. JawaharL. Jain


Winning in sports at all costs does not permit the philosophy of

sports to degenerate merely into a competition amongst
laboratories, scientists and athletes. Drugs spectre in sports
though has become widespread but it threatens the safety, health
and longevity of athletes while perverting the original intent of
sports.

To promote the true ethics of sports the first ever mini directory
on drug in sports was published in 1994 which had got
tremendous acclaim not only from Indian sportsmen but from
international sports fraternity as well as the Indian press.
6 Edition was brought out in 2005. This 8 Edition brings to
you the latest list of banned and permissible drugs with Indian
examples as well as the effects and side effects of banned drugs
in brief. The directory also contains the generic names of all
permissible drugs. As the quest for sports excellence in the
world has become a slogan of the present century. It is expected
that goal of achieving enough literacy on drugs and sports shall
be sufficiently met with by this ready reckoner by sports
fraternity.

Drugs used in sports which were earlier being looked after by

IOC now comes under the domain of WADA (World Anti Doping Agency). Excepting these
substances for which a quantitative reporting threshold is
specifically identified in the prohibited list, the detected
presence of any quantity of a prohibited substance or its
metabolites or markers in anAthlete's sample shall constitute an
anti doping rule violation.
 
Dr. JawaharL. Jain
Sr. Physician&MedicalAdministrator

University Of Delhi
Athletic Federation of India
Ex- Secy. GeneralSAFGames

Malaysia:first Asian country to host the CWG Games/Suresh Kumar Lau

In 1998, Kuala Lumpur was the first Asian city to host the Games. In 16th Commonwealth Games 1998, five new sports – Cricket, Hockey, Squash, Rugby and Netball were including in the competition programme for the first time. Jaspal Rana continued to impress in Shooting. India won 7 gold, 10 silver and 8 bronze medals and occupied the seventh position in the medals table. The Indian Shooters and weightlifters continued to win the laurels for the country. The weightlifter won 3 gold, 5 silver and 5 bronze medals, while shooter won 4 gold, 2 silver and a bronze medals. Jaspal Rana (Centre Fire Pistol), Roopa Unikrishnan (Sports rifle prone event), Ashok Pandit/ Jaspal Rana (Centre Fire Pistol Pairs) and Mansher Singh/Manavjit Singh (Trap pairs) won gold in shooting, while Arunugam Pandian (56 kg), Dharmaraj Wilson (56 kg) and Satish Rai (77 kg) were gold medal winner for India in weightlifting. Aparna Popat won a silver and Gopichand a bronze in badminton.

राष्ट्रमंडल खेल पदक/सन्नी कुमार(cwg medals)

खेलों में जीत,शौर्य और पराक्रम की पहचान पदक से होती है|जिसके पास जितने पदक होते हैं उसकी उतनी ही शान और पहचान होती है|राष्ट्रमंडल खेलों की बात करें तो भारत के पास इस शौर्य की निशानी की संख्या 271 है|भारत में हो रहे 19 वें राष्ट्रमंडल खेलो में जो पदक विजेताओ को दिए जाने है उनकी संख्या 1408 है|

किसी भी खेल आयोजन और प्रबंधन में पदक की डिजायन,रूप-रंग तय करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है|राष्ट्रमंडल खेलो के लिए 1408 पदक बनाए जा रहे है जहाँ प्रत्येक स्वर्ण पदक की लागत 5539 रु आयी है वहीं रजत पदक 4818 और कांस्य पदक की प्रति पदक लागत 4529 रु आयी है|
अगर पूरे पदकों की बात की जाए तो उनकी डोरी और बक्सों सहित 8108566 रु. की लागत आई है|


ये तो बात थी पैसे की,अब बात करते है उसके डिज़ाइन की पदक की आकृति को सादा रखा गया है|
पदक के आगे की तरफ भारतीय राष्ट्रमंडल के चिन्ह की आकृति उभरी हुई है जैसे सूर्य के तेज़ को उसमे समाहित कर दिया गया हो|वहीं पीछे की तरफ अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रमंडल संघ के प्रतीक को उकेरा गया है|पदक का व्यास 63.5 मिली मीटर और उसकी मोटाई 6 मिली मीटर है|
पदक को गले से लटकाने वाली डोरी में 6 रंगों का समावेश किया गया है जिनमें गुलाबी,बैंगनी,हरा, लाल,पीला और नीले रंग शामिल हैं|इन रंगों के कारण पूरे पदक की आभा अत्यंत उर्जामान लगती है जोकि खेलों की ऊर्जा के अनुरूप ही है|
अंत में मै अपने खिलाडियों से कहना चाहूँगा कि इन पदको को बनाने में अच्छी खासी लागत आई है तो ज्यादा से ज्यादा पदक जीतो क्योंकि घर का माल घर में ही रहे तो अच्छा है

Monday, September 27, 2010

our wrestlers did us proud in Edinburgh/Suresh Kumar Lau


Guru Hanuman


At the Scottish city of Edinburgh in 1970, once again our wrestlers did us proud. Child sensation Ved Prakash, a prodigy of Guru Hanuman of Delhi, won a gold medal in the lightweight class (under 48 kg) category. He was the youngest to win a gold in Commonwealth Games. Ved, was almost banned because of his age. He claimed fourteen, but look about twelve. India won nine medals (five gold, three silver and a bronze medals in wrestling). Ved Prakash (Light Flyweight – 48 kg), Sudesh Kumar (Flyweight – 52 kg), Udey Chand (Lightweight – 68 kg), Mukhtiar Singh (Welterweight – 74 kg) and Harish Chandra Rajindra (Middleweight – 82 kg) all bagged gold medals and India got the team championship in wrestling. Mohinder Singh Gill won a bronze in triple jump clearing 15.90 m. S. Bhonsle (Boxing) in welterweight (67 kg) and Mohal Lal Ghosh (Weightlifting) in 60 kg category won bronze medals. At Christchurch in 1974, India maintained it sixth position in the medal tally despite capturing fewer number of gold medals. India won 4 gold, 8 silver and 3 bronze medals. In fact, every member of the wrestling team won a medal. Among them, Sudesh Kumar had honour of retaining his weight category title. In 1978 at Edmonton, again it was the matmen who did us proud, but with a reduced medal tally of 3 gold, 3 silver and 3 bronze medals. Prakash Padukone provided gold touch winning the men’s singles badminton title. Edatthur Karunakaran who won a gold with a record lift of 205 kg in flyweight (52 kg) category. It was the first time that Queen had opened the Games and the first time that Canada had finished at the top of the medal. In Brisbane, Queensland, Australia in 1982, India bagged 5 gold, 8 silver and 3 bronze medals and retained its sixth position in medals tally for the fourth time in succession. At Victoria, Indian wrestlers failed to win a single gold but Shooting and Weightlifting squads won three gold each. Mansher Singh, Jaspal Rana along with Roopa Unikrishnan underlined the emergence of India as shooting powerhouse. B. Adisekhar and Veeraswamy kept up the dominance in weightlifting. With 6 gold, 11 silver and 7 bronze medals, India occupied 6th position in the medal tally.

India’s participation in the earlier Games /Suresh Kumar Lau

SKL




India’s participation in the earlier Games was merely symbolic. India’s true operation in the British Empire and Commonwealth Games began from the Cardiff Games 1958. India appraised its first golden success in the Commonwealth Games through the prodigious feats of that tall, thin sikh from the Indian Army who not only won the gold in the 440 yards run, but also the hearts of those who saw him then. The elegant Milkha Singh’s was a solitary rousing performance for Indian athlete at Commonwealth Games at Cardiff. He ran a superb 440 yards race clocking 46.6 seconds. Wrestler Lila Ram joined Milkha in the gold medal honours. He won the gold in the heavy weight (100 kgs) category. Another wrestler Lakshmikant Pande won a silver in the welterweight (74 kg) category. Since then, the major portion of our success has been in wrestling, weightlifting and shooting. The war with China kept India out at Perth (Australia) in 1962. The host regained the top spot with aggregate of 105 medals (38 gold, 36 silver and 31 bronze). The Australian superiority in pool was complete, with 17 of the 27 titles, including all five relays-four with new world records. India returned strongly to the Kingston (Jamaica). Indian wrestlers have registered themselves into the record books of the Commonwealth Games in a big way. At Kingston in 1966, they won three gold, four silver and three bronze medals. The most of these medals were won by wrestlers who had a rich haul of 3 gold, 2 silver and 2 bronze medals. The gold medal winners were Bishamber Singh (Bantamweight – 57 kg), Mukhtiar Singh (Lightweight – 68 kg) and Bhim Singh (Heavyweight – 100 kg). During the Games, the organizers decided that a title should be changed from the British Empire and Commonwealth Games to the ‘British Commonwealth Games.

Tuesday, September 21, 2010

कुश्ती (wrestling)/सन्नी कुमार


19 वें राष्ट्रमंडल खेल दिल्ली में आयोजित होने जा रहे है, जिसमे 17 खेलो को शामिल किया गया है
कुश्ती भी इन 17 खेलो में से एक है
यह  1990 और 1998 को छोड़ 1930 से ही राष्ट्रमंडल  में खेला जाता रहा है
सबसे अदभुत बात यह है की भारत को  अपना पहला पदक कुश्ती में ही प्राप्त हुआ था जब  राशिद अनवर ने 1934 में मेंस वेल्टर वेट डिविज़न में  कांस्य पदक जीत भारत की झोली में पहला पदक डाल दिया
यह साल भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलो में   पहला साल भी था


कुश्ती भारत के लिये राष्ट्रमंडल खेलों में पदक पाने का सर्वाधिक प्रमुख खेल है
अब तक में भारत 58 पदक (23 स्वर्ण,  34 रजत,  11 कांस्य) के साथ पदक तालिका में दूसरे स्थान पर है जबकि कनाडा 99 पदक (52 स्वर्ण,  31 रजत,  15 कांस्य) के साथ पहले पायदान पर है
54 पदक (4 स्वर्ण,  20 रजत,  30 कांस्य) प्राप्त कर इंग्लॅण्ड  तीसरे स्थान पर है भारत के सुदेश कुमार और राजिंदर सिंह ने कुश्ती में बेहतरीन प्रदर्शन किया है इन दोनों ने 2-2  स्वर्ण  और 1-1  रजत पदक प्राप्त किया है


कुश्ती दो लोगो के शारीरिक परिश्रम का खेल है
दिल्ली में आयोजित खेलो में  इसे फ्रीस्टाइल और ग्रीको रोमन शैली के तहत खेला जाएगा
वह प्रतिद्वंदी को कहीं से भी उठा कर पटक सकता है
इस खेल को सेंट लुविस ओलंपिक 1904 में लोगो से रुबरु करवाया गया था
वहीँ  ग्रीको रोमन शैली में कमर से नीचे पकड़ना वैध नहीं होता


आगामी 5 से 10 अक्टूबर को दिल्ली के इन्दिरा गांधी स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में इस खेल का आयोजन  होगा जिसमे पुरुषो का फ्रीस्टाइल और  ग्रीको रोमन शैली में 50-55 किग्रा, 60 किग्रा, 66 किग्रा, 74 किग्रा, 84 किग्रा, 96 किग्रा, 96- 120  किग्रा  के अंतर्गत और महिलाओ का फ्रीस्टाइल शैली में 44- 48 किग्रा, 51 किग्रा, 55 किग्रा,  59 किग्रा, 63 किग्रा, 67 किग्रा,  67- 72 किग्रा  के अंतर्गत मुकाबला होगा

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    Rakesh Thapliyal (HT) with M.S. Gill(cwg silver medal winner in triple jump)
    




L to R Anjum chopra,KpS Gill,Sushil yash kalra,MS Gill


Monday, September 20, 2010

India and the Commonwealth Games./suresh kumar lau


The roots of the Commonwealth Games lie with their predecessor, the Empire Games. India participated for the first time in the Empire Games in London (1934), four years after the start of the Empire Games. India participation in the Olympic, from the 1920s; was an important watershed for the politics of colonialism. India’s went to participate in the Olympic on equal provision with the British, at the time when colony was not even invited to the inaugural British Empire Games in Hamilton, Ontario (Canada) in 1930. Apart from Bermuda, British Guiana and Newfoundland, only the white settler dominions of South Africa, New Zealand and Australia were invited to the inaugural Empire Games. The first Games, staged in 1930 under shadow of great depression cost $ 30,000. The organizers provided the cash, $ 19,000 for the cost of athletes from the white setter dominions. India have a fine record of performance at the Commonwealth Games and have almost always contributed to the glory of this movement.

London 1934 triggered a controversy, the Games were originally scheduled for South Africa. The Games had to be shifted because of protest over the treatment of black people in the country. 500 athletes from 16 nations, including India participated. India wrestler Anwar Rahshid won the bronze medal in the 74 kg weight category. The greatest problem for the third Games at Sydney was one of travel.ind
In 1938 Games cycling was introduced. Our cyclists returned empty-handed as was the case of its four athletes who took part in Vancouver Games in 1954 and returned without success.

 In 1942 Games were awarded to Montreal but cancelled because of World War II. The chosen site was at the same place as the 1976 Olympic venue.

In 1954 Games created sports legend, for it was there that Roger Bannister and John Landy made history, both breaking the barrier of the four minute-minute mile as they streaked to the finish line. Never before had two men, in competition, both shattered the four-minute barrier. Our sportsperson have especially done well in the last thirteen Games between Cardiff (1958 and Melbourne (2006).

India’s accomplishment at the Commonwealth Games through this period in this pattern of improvement at the Games, where the contest is of a certain competence although less than, and is good enough to promote sports thus providing a spring board for foster efforts. A glance into the Games history conveys the dominance of Australia and England and to an extend, first host Canada. However, the gap between utmost countries is slandering. India which joined the Games in 1934 in London, earned 50 medals — 22 gold to be retained fourth on the table at the 18th Commonwealth Games, 2006 Melbourne.

Friday, September 17, 2010

India and the Commonwealth Games/Suresh kumar lau


The roots of the Commonwealth Games lie with their predecessor, the Empire Games. India participated for the first time in the Empire Games in London (1934), four years after the start of the Empire Games. India participation in the Olympic, from the 1920s; was an important watershed for the politics of colonialism. India’s went to participate in the Olympic on equal provision with the British, at the time when colony was not even invited to the inaugural British Empire Games in Hamilton, Ontario (Canada) in 1930. Apart from Bermuda, British Guiana and Newfoundland, only the white settler dominions of South Africa, New Zealand and Australia were invited to the inaugural Empire Games. The first Games, staged in 1930 under shadow of great depression cost $ 30,000. The organizers provided the cash, $ 19,000 for the cost of athletes from the white setter dominions. India have a fine record of performance at the Commonwealth Games and have almost always contributed to the glory of this movement.

London 1934 triggered a controversy, the Games were originally scheduled for South Africa. The Games had to be shifted because of protest over the treatment of black people in the country. 500 athletes from 16 nations, including India participated. India wrestler Anwar Rahshid won the bronze medal in the 74 kg weight category. The greatest problem for the third Games at Sydney was one of travel. In 1938 Games cycling was introduced. Our cyclists returned empty-handed as was the case of its four athletes who took part in Vancouver Games in 1954 and returned without success. In 1942 Games were awarded to Montreal but cancelled because of World War II. The chosen site was at the same place as the 1976 Olympic venue. In 1954 Games created sports legend, for it was there that Roger Bannister and John Landy made history, both breaking the barrier of the four minute-minute mile as they streaked to the finish line. Never before had two men, in competition, both shattered the four-minute barrier. Our sportsperson have especially done well in the last thirteen Games between Cardiff (1958 and Melbourne (2006). India’s accomplishment at the Commonwealth Games through this period in this pattern of improvement at the Games, where the contest is of a certain competence although less than, and is good enough to promote sports thus providing a spring board for foster efforts. A glance into the Games history conveys the dominance of Australia and England and to an extend, first host Canada. However, the gap between utmost countries is slandering. India which joined the Games in 1934 in London, earned 50 medals — 22 gold to be retained fourth on the table at the 18th Commonwealth Games, 2006 Melbourne.

Thursday, September 16, 2010

yeh dilli hai meri jaan..../manmeet sahni

Delhi Tourism
A real time traveller would not head straight to the malls for Delhi’s culture and heritage still remains hidden. The spots where one could splurge and shop could be Dilli Haat (INA, near AIIMS). This is one stop shop where you would find handicrafts from most parts of the country. It also offers authentic food from many regions of India.  Jan path and Connaught Place are the most loved touristy places of all times. 
Connaught Place is located at the heart of the city and offers a lot of shopping scope for shoppers and Jan path is a shopper’s paradise where one can indulge in local crafty stuff. One could leather chappals, jutis (shoes) to garments and Indian perfumes (itr) and silver jewellery etcetera all at bargain prices. The emporiums at Jan path also boast of authentic handicrafts from various states of India.  The Central Cottage Emporium could also be a must visit spot if you simply cannot get enough of handicrafts.

Sunday, September 12, 2010

DELHI's TOURIST ATTRACTION FOR THE COMMONWEALTH GAMES/Manmeet Sahni

Yeh Dilli Hai Meri Jaan
The upcoming commonwealth games (CWG) are to be held in the capital city in the month of October. Delhi is often called as the gem of India. India is a country of rich culture and heritage and Delhi offers that heritage in a miniscule form as it contains a bit of every part of the country and its heritage. Visitors are bound to be enthralled by the culture which the city has on offer. As the city prepares itself for the mega event, Delhi has much more to keep the visitors engrossed.




Delhi is an incredible blend of the old and the new. For people who are on a look out for the mall comfort, one can find plenty of malls across the city. The Malls too carry a slice of culture and that too under one roof. Since the city has umpteen number of malls it is difficult to declare the names yet the Rajouri Garden site located at the western part of Delhi has some malls while a mega mall at Saket, South Delhi named Select City Walk also has much to offer.


The Garden Of Five Senses – Paradise for Nature Lover / Mercy Roy


CommonWealth Games is one of the biggest ever multi-sports event not only in India but in Asia as a whole.According to the officials evaluations, 2 million foreign tourists and 3.5 million domestic tourists are likely to arrive in 2010 because of the games. Among all the wonderfull tourists destinations – “ the garden of five senses ”cannot be left out.

The Garden of Five Senses is truely a paradise for nature lover as it serves all the possible senses of human being, one can see, hear, smell, touch and taste the nature around one self. The garden is located at Said-ul-Aizad village, close to the Mehrauli heritage area in New Delhi ( and its very nearby to Qutub Minar ).

The garden has many unique features which makes it different from other parks. It is an intricate blend of natures bounty and subtle human creation. Among the main attractions are the Khas Bhag – designed on the pattern of the mughal gardens with modern canals, shrubs and water bodies to bisect the medians, the Neel Bagh – a pool of water lilies covered with a dome like structured and has different aquatic structures. Further attractions are the color gardens and court of specimen plants and the numerous wind chimes add to the ambience of the surrounding. One also cannot miss out the twenty five different sculptures and murals by the popular craftsmen.

Saturday, September 11, 2010

Commonwealth Games-Norton Hervey Crow /Suresh Kumar Lau


The host city of each Commonwealth Games is chosen by the CGF seven years in advance. The 19th Commonwealth Games are scheduled to be held in Delhi from October 3 to 14, 2010. For the first time an international sporting event of this magnitude is being held in India. The last major multi-sport event held was the Asian Games in 1982. In 2014, the Games will be held in Glasgow, Scotland.


The Commonwealth Games were inaugurated as the British Empire Games in Hamilton, Ontario, Canada in 1930 as a sports competition for athletes from Great Britain. The policy statement of the first British Empire Games “The Commonwealth Games will be designed on the Olympic model, both in general construction and its stern definition of the amateur. But the game will be very different – free from both the excessive stimulus and the babel of the international stadium. They should be merrier and less stern and will substitute the stimulus of novel adventure for the pressure of international rivalry”. Reverend Astley may be relatively undistinguished when compared to Barron Pierre de Coubertin (1863-1937) who visualized the Olympics, but it was the British paster who game shape to the Empire Games, 39 years after it was mooted in 1891. His pipe dream accomplished in 1930 at Hamilton, Ontario.
 At the first British Empire Games, the facilities were somewhat Spartan. The 400-odd competitors were put up in the Prince of Wales school just over the road from the main stadium, with up to 24 athletes sharing each classroom. The only depressed moment about the Games was that the man whose idea began the whole movement was not there to see the culmination of his initiative. Norton Hervey Crow died on Sept. 14, 1929, precisely eleven months before the Games kick off.

Friday, September 10, 2010

Origin of the British Empire Games Flag


The British Empire Games Association of Canada donated the flag during the inaugural games in Hamilton, Ontario (Canada). The year and place of subsequent games were added until the 1950, Auckland Games. The name of the game was changed to the British Empire and Commonwealth Games and the flag was retired as a result. From 1930 to 1950, the parade of nations was led by a single flagbearer carrying Union Flag, symbolizing Britain’s foremost role in the British Empire.

The Commonwealth Games/S.K.Lau

The host city of each Commonwealth Games is chosen by the CGF seven years in advance. The 19th Commonwealth Games are scheduled to be held in Delhi from October 3 to 14, 2010. For the first time an international sporting event of this magnitude is being held in India. The last major multi-sport event held was the Asian Games in 1982. In 2014, the Games will be held in Glasgow, Scotland.


The Commonwealth Games were inaugurated as the British Empire Games in Hamilton, Ontario, Canada in 1930 as a sports competition for athletes from Great Britain. The policy statement of the first British Empire Games “The Commonwealth Games will be designed on the Olympic model, both in general construction and its stern definition of the amateur. But the game will be very different – free from both the excessive stimulus and the babel of the international stadium. They should be merrier and less stern and will substitute the stimulus of novel adventure for the pressure of international rivalry”. Reverend Astley may be relatively undistinguished when compared to Barron Pierre de Coubertin (1863-1937) who visualized the Olympics, but it was the British paster who game shape to the Empire Games, 39 years after it was mooted in 1891. His pipe dream accomplished in 1930 at Hamilton, Ontario. At the first British Empire Games, the facilities were somewhat Spartan. The 400-odd competitors were put up in the Prince of Wales school just over the road from the main stadium, with up to 24 athletes sharing each classroom. The only depressed moment about the Games was that the man whose idea began the whole movement was not there to see the culmination of his initiative. Norton Hervey Crow died on Sept. 14, 1929, precisely eleven months before the Games kick off.

Commonwealth Games& world politics

The Commonwealth Games, like the Olympic Games have suffered from the effects of world politics. Black African Commonwealth countries have boycotted the games several occasions in protest against other Commonwealth countries having sporting links with South Africa. Between 1930 and 1958, white South Africans won 190 medals (72 gold, 60 silver and 58 bronzes) in the British Empire and Commonwealth Games. The games have suffered from boycotts, especially that of 1986, but these have never been on the scale of those that have affected the Olympics.


The Games are held every four years midway between the Olympic Games with competing nations being part of the British Commonwealth. It is often referred to as the “Friendly Games.” Only six teams have attended every Commonwealth Games: Australia, Canada, England, New Zealand, Scotland and Wales. There are 53 Commonwealth countries represented by 71 Commonwealth Games Association (CGA) that can enter a team in the Commonwealth Games because some Commonwealth countries have more than one CGA. Although the United Kingdom is one member of the Commonwealth, the seven CGA’s namely, England, Scotland, Wales, Northern Ireland, Isle of Man, Jersey and Guernsey compete separately in the Commonwealth Games. It has been held in Britain in five occasions: London 1934, Cadriff 1958, Edingburgh 1970 and 1986 and Manchester 2002. The Commonwealth Games Federation (CGF) is the organization that is responsible for the direction and control of the Commonwealth Games. The three core values of the Commonwealth Games movement are Humanity, Equality and Destiny, which were adopted by the Games movement in 2000.

Thursday, September 9, 2010

राष्ट्रमंडल खेल: वुवुजेला उपलब्ध, पर इस्तेमाल पर सवाल/रीतेश पाठक

08 सितम्बर 2010/वार्ता

नयी दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका में संपन्न फुटबाल विश्व कप के चर्चित कानफोडू बाजे (वुवुजेला) की तर्ज पर 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति ने इसे खेलों के दौरान दर्शकों के लिए उपलब्ध कराने की घोषणा भले कर दी हो, लेकिन खेल परिसरों के अंदर इसके इस्तेमाल पर अभी संशय बरकरार है और समिति के कई अधिकारियों को भी यह भा नहीं रहा है।
समिति के संयुक्त महानिक समेर ढिल्लन ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘इस बारे में दिल्ली पुलिस से बात चल रही है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि वुवुजेला खिलाडियों के लिए परेशानी बनता है।’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके बारे में अंतिम फैसला अभी नहीं किया जा सका है।
इससे पहले समिति के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि वुवुजेला को खेलों के दौरान स्टेडियमों के ले जाने की इजाजत कैसे मिल सकती है।मल्होत्रा ने कहा, ‘फुटबाल विश्व कप में वुवुजेला का इस्तेमाल किया गया था। हो सकता है यह दक्षिण अफ्रीकी संस्कृति का हिस्सा हो। लेकिन हमारे देश के लिए यह सही नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘वुवुजेला से खिलाड़ियों का ध्यान बंटता है और इसका असर हमारे खिलाड़ियों पर भी पड़ सकता है। स्टेडियमों में खिलाड़ियों और दर्शकों का हौसला बढ़ाने के लिए हमारे यहां ढोल तथा अन्य वाद्ययंत्रों के इस्तेमाल की परंपरा है। हमें अपने खेल आयोजन के लिए किसी विदेशी बाजे की जरूरत नहीं है।’
उल्लेखनीय है कि आयोजन समिति ने हाल ही में खेलों के लिए मर्चेन्डाइज लांच के मौके पर वुवुजेला के अनावरण के साथ कहा था कि यह दर्शकों के लिए उनके जोश के इजहार का सशक्त माध्यम होगा। हालांकि इस घोषणा के साथ ही सवाल उठा था कि क्या खेल परिसरों के अंदर इन्हें ले जाने की इजाजत होगी।हालांकि लांचिंग के बावजूद वुवुजेला समेज कई सामग्री अब भी मर्चेंडाइज केंद्रों पर उपलब्ध नहीं हो पायी है। द्विवेदी ने बताया कि दर्शकों की सुविधा के लिए त्रिस्तरीय प्रबंधन व्यवस्था की गयी है। पहले चरण में गेट प्रबंधन है जिसके तहत दल के सदस्य मुख्य प्रवेश द्वार पर दर्शकों से मिलकर उन्हें उनके गंतव्य और प्रवेश के रास्तों की पूरी जानकारी देंगे।
यहां पर पहले मुख्य द्वारों पर टिकट की मैन्युअल चेकिंग होगी। फिर इसके बाद कम्प्यूटर से बारकोड जांच के जरिए उनकी जांच की जाएगी। टिकटों के पीछे यह उल्लेख किया होगा कि कौन सी चीजें स्टेडियम में ले जायी जा सकती हैं और कौन सी नहीं। अवांछित वस्तुओं को दर्शक अपने जोखिम पर बाहर छोड सकेंगे।
दूसरे स्तर पर दर्शक प्लाजा का प्रबंधन होगा। इस क्षेत्र में दर्शकों की खान-पान व्यवस्था और मर्चेंडाइज सुविधाएं उपलब्ध होंगी। हर खेल परिसर में एक विशेष टिकट बूथ बनाया गया है जो खेलों के शुरू होने और टिकट उपलब्ध होने तक कार्यरत रहेंगे।
तीसरे स्तर पर दर्शक दीर्घा का प्रबंधन है, जिसमें दर्शकों के बैठने, विकलांग और वरिष्ठ नागरिकों की विशेष सहायता आदि शामिल है। दर्शक दीर्घा में बैठने और खिलाडियों की हौसला अफजाई आदि के बारे में दिल्ली पुलिस ने विशेष दिशा निर्देश जारी किये हैं जो टिकट के साथ उपलब्ध होंगे। इनका उल्लंघन करने वालों को तुरंत मैदान से बाहर भेजा जा सकता है।
दर्शकों की सुविधा के लिए खेल परिसरों में प्रवेश आयोजन के समय से पहले ही शुरू कर दिया जाएगा और उद्घाटन एवं समापन समारोह में तो लगभग चार घंटे पहले प्रवेश शुरू कर दिया जाएगा।

The festival of sports has undergone name changes

The festival of sports has undergone name changes that reflects the growing political maturity of fellow member countries.
These name changes reflected the transformation of the British Empire, since nearly all colonies had become independent nations by the 1960s.


British Empire Games:


1930: Hamilton, Ontario, 1934: London, 1938: Sydney and 1950: Auckland

British Empire and Commonwealth Games:

1954: Vancouver, 1958: Cardiff, 1962: Perth 1966: Kingston

1970: Edinburgh and 1974: Christchurch

Commonwealth Games:

1978: Edmonton, 1982: Brisbane, 1986: Edinburgh, 1990: Auckland, 1994: Victoria, 1998: Kuala Lumpur, 2002: Manchester, 2006: Melbourne and 2010: New Delhi

The festival of sports has undergone name changes


The festival of sports has undergone name changes that reflects the growing political maturity of fellow member countries.These name changes reflected the transformation of the British Empire, since nearly all colonies had become independent nations by the 1960s.



British Empire Games:


1930: Hamilton, Ontario, 1934: London, 1938: Sydney and 1950: Auckland

British Empire and Commonwealth Games:

1954: Vancouver, 1958: Cardiff, 1962: Perth 1966: Kingston

1970: Edinburgh and 1974: Christchurch

Commonwealth Games:

1978: Edmonton, 1982: Brisbane, 1986: Edinburgh, 1990: Auckland, 1994: Victoria, 1998: Kuala Lumpur, 2002: Manchester, 2006: Melbourne and 2010: New Delhi

Festival of Empire/Suresh Kumar Lau

Festival of Empire


The Commonwealth Games developed from the earlier Empire Games. The Empire Games were designed specifically to bring together the nations of the British Empire in a friendly competition. The British Empire Games was brainwork to be inspired by the Reverend Astley Cooper (1858-1930). In July 1891 he wrote in “Great Britain” magazine and later on October 31, 1891 in ‘The Times’ with a plan for festival “to draw closer the ties between Nations of the Empire.” Yorkshireman, the Reverend Cooper became involved in Olympic movement in Britain, but his notion generated a great deal of interest in Britain and the British Colonies. The idea took a shape when a Festival of Empire was held at the Crystal Place, London on June 24, 1911 as a part of the coronation celebrations of His Majesty King George V (1865-1936), second son of Edward VII. As part of the festival an Inter-Empire Championship was held in which teams from Australasia (Australia, New Zealand, Tasmania), Canada, South Africa, United Kingdom competed in events such as Athletics (5 events), Swimming (2 events), Boxing (1 event) and Wrestling (1 event). Canada was declared the overall winner by achieving one point more than the United Kingdom.

The Friendly Games

It was the initiative of Norton Hervey Crow which brought British Empire Games dreams to reality on September 25, 1924 at the Fort Garry Hotel in Winnipeg. N. Hervey Crow, in his concluding address to the Amateur Athletic Union after 19 years as Secretary said ‘you could consider the advisability of taking the initiative in all-British Empire Games to be held in between Olympic Games.’ On 27th September, 1924 the AAU Committee Unanimously passed crow’s idea. The first city to resolve it could handle the games and their organization was Hamilton, Ontario, then with population of some 15,5,000. Their viability study was approved. The principle was that the games were to be less rigorous — the Friendly Games was to be the motto.

In 1928, Melville Mark (Bobby) Robinson of Canada was asked to organise the first British Empire Games. The first games, called the British Empire Games took place in 1930 in Hamilton, Canada. From 1930 to 1950 (no games were held in 1942 and 1946), the games were known as the British Empire Games; from 1954 to 1962 as the British Empire and Commonwealth Games, from 1966 to 1974 as the British Commonwealth Games and since 1978 as the Commonwealth Games. The festival of sports has undergone name changes that reflects the growing political maturity of fellow member countries.

COMMONWEALTH GAMES—FRIENDLY GAMES/Suresh Kumar Lau

History of Friendship


The Commonwealth is a unique family of 53 members which promotes respect, encourages trust and works towards economic prosperity for its members. It’s 2 billions people account for 30 per cent of the world’s population and are many languages, races, faith, traditions and cultures. At one time it was said that “The sun never sets on the British Empire”. There was a good reason for the expression, for Britain once governed one of the largest empires the world had ever known. That Empire no longer exists. Of the many lands that once made up, the old empire, most are now independent sovereign states that belong to an organization called Commonwealth of Nations. It is an association of independent countries and other political units that have lived under British law and government.

The Commonwealth evolved from United Kingdom’s imperial past, through decolonization, two world wars and change in international relations. In 1867, Canada was the first colony to get self-governing “Dominion” status, which implies equality with the UK. In 1884, British politician Lord Rosebery described the changing empire as a “Commonwealth of Nations”. Australia joined in 1900 and New Zealand (1907), South Africa (1910) and the Irish Free States (1921) followed. At the 1926 Imperial conference, the attending prime ministers adopted the Balfour Report defining Dominions as autonomous communities within the British Empire, equal in status, united by common allegiance to the crown and associated as members of the British Commonwealth of Nations.

World War-II changed the British Commonwealth’s nature. It became a multiracial association after India and Pakistan achieved independence. With India’s wish to become a republic and still remain in Commonwealth membership had to be rethought.

The modern Commonwealth was born in 1949. With the London Declaration of 1949, Commonwealth prime ministers welcomed India as Commonwealth’s first republican member. The word “British” was dropped to reflect Commonwealth’s new reality. The Commonwealth’s opposition to apartheid led to South Africa’s withdrawal in 1961. (In 1994 after the end of apartheid it rejoined the association). In 1972 Pakistan left the Commonwealth when other Commonwealth members recognised the independence of Bangladesh (formerly East Pakistan). Bangladesh was admitted as a member and Pakistan rejoined in 1989. From a club of former colonies, the Commonwealth of Nations has grown into contemporary international association in tune with times without losing its history of friendship. In 1970, Queen Elizabeth II wrote about the Commonwealth as “… rather a special family, a family of nations …”.

Sunday, September 5, 2010

लूट पड़े तो टूट पड़ो मार पड़े तो भाग पड़ो /सन्नी कुमार



“लूट पड़े तो टूट पड़ो मार पड़े तो भाग पड़ो” ऐसा ही हाल इन दिनों कॉमन आदमी के वेल्थ के साथ हो रहा है

सरकार ने कामनवेल्थ गेम्स के बारे में कहा था कि ऐसे मौके किसी भी देश के लिए बहुत कम आते है
सरकार ने ये बात क्या सोच कर कही थी ये तो वही जाने परन्तु इन खेलो के प्रभारियों ने इस बात को गाँठ बाँध ली और इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए अपनी जेबों के साथ साथ पैरो के मोजो तक को कॉमन आदमी के वेल्थ से भर लिया अर्थात ऐड़ी से चोटी तक मालामाल हो गए
सोचा कि ऐसे मौके किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत कम आते है जब दसो उंगलियों के साथ पूरा शरीर ही घी में डूबा हो,जितना घी बटोर सकते हो बटोर लो
कहने का मतलब है तक लूट पड़े तो टूट पड़ो
बात अभी तो अधूरी है आधी लाइन जो बाकी है


अब बात करते हैं दूसरी लाइन की यानी मार पड़े तो भाग पड़ो
मार इन्हें मीडिया की तरफ से पड़ी जब इन नोट खाने वाले और देश की इज्ज़त को बिना डकार के पचाने वालों की घोटाले की गठरी मीडिया ने खोली तब उनके भागने का समय आ गया
आनन फानन में 3 - 4 अफसरों ने इस्तीफा दे दिये या ले लिये और सरकार भी जाँच के आदेश देकर शांत हो गई
इस तरह इन अफसरों ने इस कहावत को सही सिद्ध कर दिया की लूट पड़े तो टूट पड़ो मार पड़े तो भाग पड़ो

Sunday, August 29, 2010

राष्ट्रभाषा, राजभाषा, राष्ट्रमंडल खेल और राष्ट्रीय गौरव/-डॉ. अशोक प्रियरंजन

किसी भी देश की अंतरराष्ट्रीय भाषाई पहचान के लिए जरूरी है कि उसकी एक

राष्ट्रभाषा होनी चाहिए। यह भाषा ऐसी हो, जिसे सीखने, उसका साहित्य पढऩे
की ललक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए। भारत के संदर्भ में यह
विचारणीय विषय है कि अभी तक यहां हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल
सका है जबकि पूरी दुनिया में यह एक लोकप्रिय भाषा के रूप में उभरकर सामने
आई है। इसकी लिपि सर्वाधिक वैज्ञानिक है। हिंदी का साहित्य बहुत समृद्ध
है। बहुत बड़ी संख्या में हिंदी बोलने वाले लोग है। मारीशस, फिजी,
सिंगापुर, कनाडा आदि में तो हिंदी के प्रति व्यापक रुझान दिखाई देता है।

भारत में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया है लेकिन इसके व्यापक उपयोग को
लेकर सरकार की उदासीनता दिखाई देती है। इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण
राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हिंदी केप्रति बरती जा रही उदासीनता है।
संसद में भी राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी को बढ़ावा देने की मांग उठ चुकी
है लेकिन आयोजक और सरकार नहीं चेती है। राजभाषा समर्थन समिति मेरठ इस
दिशा में पहल करते हुए जनआंदोलन के तेवर अख्तियार किए हुए है लेकिन इसमें
अन्य संगठनों की भागीदारी और व्यापक जनसमर्थन की जरूरत है।
राष्ट्रमंडल खेलों में राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देना इसलिए भी जरूरी है
कि उस दौरान कई देशों के लोग आयोजन में शामिल होंगे। उन्हें न केवल
भारतीय संस्कृति की जानकारी दी जाए बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो
रही राजभाषा हिंदी से भी परिचय कराया जाना चाहिए। ऐसा करके राष्ट्रीय
गौरव को बढ़ाया जा सकता है। इस सत्य से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि देश
में हिंदी बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक है और पूरी दुनिया में हिंदी
को लेकर व्यापक संभावनाएं परिलक्षित हो रही हैं। फिर देश के भाषाई गौरव
केशिखर पर हिंदी को प्रतिष्ठित करने में देरी क्यों? राष्ट्रमंडल खेलोंके माध्यम से हिंदी को बढ़ावा देना समय की जरूरत है। इसकेलिए राजभाषा समर्थन समिति मेरठ के सुझावों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

समिति के सुझाव हैं-

1. राष्ट्रमंडल खेलों की वेबसाइट हिंदी में तुरंत बनाई जाए।

2. दिल्ली पुलिस और नई दिल्ली नगरपालिका द्वारा सभी नामपट्टों व संकेतकों

में हिंदी का भी प्रयोग हो ।

3. राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान वितरित की जाने वाली सारी प्रचार सामगी

हिंदी में भी तैयार की जाए।

4. राष्ट्रमंडल खेलों के आंखों देखे हाल के प्रसारण की व्यवस्था हिंदी में भी हो।

5. पर्यटकों व खिलाडियों के लिए होटलों व अन्य स्थानों हिंदी की किट भी

वितरित की जाए।

6. उदघाटन व समापन समारोह भारत की संस्कृति व भाषा का प्रतिबिम्बित करते

हों। सांस्कृतिक कार्यक्रम देश की गरिमा के अनुरूप हों। राष्ट्रपति ,

प्रधानमंत्री व अन्य प्रमुख लोग अपनी भाषा में विचार व्यक्त करें।

7. राष्ट्रमंडल के देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्ययोजना

तैयार की जाए।

गृहराज्यमंत्री द्वारा खेल मंत्रालय और आयोजन समिति को स्पष्ट निर्देश

27 जुलाई 2010 को अक्षरम के संयोजन में राजभाषा समर्थन समिति , मेरठ के सहयोग से दिल्ली मे हुई गोष्ठी का परिणाम सामने आ गया है । इस गोष्ठी में कई संसद सदस्यों, पत्रकारों, साहित्यकारों, खेल विशेषज्ञों ने शिरकत की थी। उपस्थित जन समुदाय को सांसद कलराज मिश्रा, हुक्म देव नारायण यादव,
प्रदीप टमटा और राजेन्द्र अग्रवाल तथा केन्द्रीय हिंदी समिति के सदस्य श्री रत्नाकर पांडेय ने आश्वासन दिया था कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे और संबद्ध विभागों से बात करेंगे। गोष्ठी में पत्रकार वेदप्रताप वैदिक, रामशरण जोशी, साहित्यकार श्री गंगा प्रसाद विमल, कमेंटटर श्री
जसदेव सिंह और रवि चतुर्वेदी ने भी भाग लिया था। इस क्रम में श्री हुक्मदेव नारायण यादव ने मामले को संसद में उठाया और गृह मंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा । श्री हुक्म देव नारायण यादव की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही और उन्होंने अन्य सदस्यों के साथ मिलकर दबाव बनाया ।
पत्र उपयुक्त कार्यवाही के लिए गृह राज्यमंत्री के पास आया जिन्होंने गोष्ठी में उठाए गए सभी मामलों को ना केवल अग्रसारित किया बल्कि राजभाषा विभाग की ओर से इस मामले में निर्देश जारी किए । गृहराज्यमंत्री औरगृहमंत्री द्वारा जारी पत्र की प्रतियां संलग्न है। इनके आधार पर इस
अभियान की आगे दिशा तय की जा सकती है।

Saturday, August 21, 2010

टपकती रही छत स्टेडियम की ,करते रहे हम कमेंट्री ,,वाह वाह....

आज इंदिरा गाँधी स्टेडियम में जिम्नास्टिक का टेस्ट इवेंट शुरू हुआ.हम बहुत तैयारी के साथ बैठे टीवी कमेंट्री करने ..सुरक्षा जांच वालो ने हमें पानी की बोतल नहीं लाने दी.हमारा सेब भी वापिस करवा दिया ,हमने कहा कोई नहीं ,मीडिया सेंटर में तो सब मिल ही जाएगा ,एक घंटा हुआ २ घंटे हुए. हम पानी वानी,चाय का इंतज़ार करते रहे ,पर वह न आया और न उसकी कोई खबर आई .कई घंटे लगातार बोलना फिर पानी नहीं मिलना,हमें तुरंत ईश्वर याद आ गए .उन्होंने भी बिना देर किये हमारी सुन ली ,और पानी बरसने लगा ,खूब बरसा ,अचानक मेरे मुह पर पानी की बूँद गिरी ,,उपर देखा तो छत से पानी की टप टप बूँद गिरने लगी.भगवान के घर देर है अंधेर नहीं.भगवान ने सीधा अपने घर से हमारे लिए supply भेज दी,सच में जय हो प्रभु .

Wednesday, July 28, 2010

एक बंदर स्टेडियम के अंदर


जी चौंकये नहीं,ये कोई हॉलीवुड की कोई हिंदी में डब की गयी फिल्म नहीं है
बल्कि राष्ट्रमंडल खेलों के टेस्ट इवेंट के एक नये प्रशंसक की बात है|हुआ यूँ कि नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इन दिनों तैराकी की फेडरेशन कप प्रतियोगिता चल रही है|
मैं बतौर कमेंटेटर आज अपना काम कर रही थी यानी कमेंट्री दे रही थी|अचानक स्टेडियम में सभी लोग कमेंट्री बॉक्स की ओर देखने लगे|वैसे तो दर्शकों में हम कमेंटेटरों को देखने की उत्सुकता होती है,लेकिन जब पूरा स्टेडियम ही आपकी ओर देखने लगे तो अजीब सा लगता है|फिर सामने के मॉनीटर में देखने से पता चला कि हमारा एक अत्यंत प्रशंसक स्टेडियम की सुरक्षा को धता बताते हुए बिना पास और टिकट के खिड़की के रास्ते स्टेडियम में आ भी गया है|सभी दर्शक राष्ट्रीय तैराकों के प्रदर्शन को छोड़ कर बंदर के मुरीद हो गये है|
और हमने भी ठंडी साँस ली क्योंकि दर्शकों का उत्साह हमारे लिये न होकर उस साहसी बंदर के लिये था जिसने दिल्ली पुलिस की सुरक्षा को कूद फाँद कर पार किया और वी.आई.पी. सीट को हथिया लिया

Asian All-Star Athletics, July 29-30, Jawaharlal Nehru Stadium


The Asian All-Star Athletics Meet will be held at the Jawaharlal Nehru Stadium in New Delhi on July 29 and 30 and is a test event for the 2010 Commonwealth Games.


The accredited media will be provided a shuttle service from OC Headquarters, NDCC Tower 2, opposite Jantar Mantar. The bus will leave from OC at 3 pm on Thursday, July 29, 2010.

National Federation Cup - Day 2


Karnataka bagged four gold medals (50 m backstroke women, 200 m freestyle men, 50 m butterfly stroke women and 4x 100 m freestyle relay women) on Day 2 of the National Federation Cup being held at Dr S.P Mukherjee Swimming Complex here in the capital. Maharashtra was a close second with 3 gold medals. This event is also a test event for the Commonwealth games to be held later this year in October.

National Federation Swimming Cup opens

Pooja R. Alva-01 Won Gold Medal in 200 MT. Butter Fly Stroke won
Karnataka dominated Day 1 of the National Federation Cup being held in the capital, with 5 gold medals - 400 m Freestyle men, 200 m individual medley women, 200 m backstroke men, 200 m butterfly women, 400 m medley relay women.

Sunday, July 25, 2010

Invitational Cycling Meet concludesin Delhi




Indian Riders proved their mettle by bagging 12 medals in total at the Invitational Cycling Meet, held at the IG Cycling Velodrome from 23rd July to 25th July.

The highlight of last day was the Elite men 20 KM Scratch race where Indian rider Prince H L Hylem won the Bronze for India. Gold was won by Australian Stephen Hall.



Ting Ying Huang (2 Golds) of Chinese Taipei was adjudged best Rider- Women of the Meet,

Stephen Hall (2 Golds) of Australia was adjudged Best Rider - Men of the Meet and Australia won the Overall Championship Title.