खेलों में जीत,शौर्य और पराक्रम की पहचान पदक से होती है|जिसके पास जितने पदक होते हैं उसकी उतनी ही शान और पहचान होती है|राष्ट्रमंडल खेलों की बात करें तो भारत के पास इस शौर्य की निशानी की संख्या 271 है|भारत में हो रहे 19 वें राष्ट्रमंडल खेलो में जो पदक विजेताओ को दिए जाने है उनकी संख्या 1408 है|
किसी भी खेल आयोजन और प्रबंधन में पदक की डिजायन,रूप-रंग तय करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है|राष्ट्रमंडल खेलो के लिए 1408 पदक बनाए जा रहे है जहाँ प्रत्येक स्वर्ण पदक की लागत 5539 रु आयी है वहीं रजत पदक 4818 और कांस्य पदक की प्रति पदक लागत 4529 रु आयी है|
अगर पूरे पदकों की बात की जाए तो उनकी डोरी और बक्सों सहित 8108566 रु. की लागत आई है|
ये तो बात थी पैसे की,अब बात करते है उसके डिज़ाइन की पदक की आकृति को सादा रखा गया है|
पदक के आगे की तरफ भारतीय राष्ट्रमंडल के चिन्ह की आकृति उभरी हुई है जैसे सूर्य के तेज़ को उसमे समाहित कर दिया गया हो|वहीं पीछे की तरफ अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रमंडल संघ के प्रतीक को उकेरा गया है|पदक का व्यास 63.5 मिली मीटर और उसकी मोटाई 6 मिली मीटर है|
पदक को गले से लटकाने वाली डोरी में 6 रंगों का समावेश किया गया है जिनमें गुलाबी,बैंगनी,हरा, लाल,पीला और नीले रंग शामिल हैं|इन रंगों के कारण पूरे पदक की आभा अत्यंत उर्जामान लगती है जोकि खेलों की ऊर्जा के अनुरूप ही है|
अंत में मै अपने खिलाडियों से कहना चाहूँगा कि इन पदको को बनाने में अच्छी खासी लागत आई है तो ज्यादा से ज्यादा पदक जीतो क्योंकि घर का माल घर में ही रहे तो अच्छा है
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