08 सितम्बर 2010/वार्ता
नयी दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका में संपन्न फुटबाल विश्व कप के चर्चित कानफोडू बाजे (वुवुजेला) की तर्ज पर 19वें राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति ने इसे खेलों के दौरान दर्शकों के लिए उपलब्ध कराने की घोषणा भले कर दी हो, लेकिन खेल परिसरों के अंदर इसके इस्तेमाल पर अभी संशय बरकरार है और समिति के कई अधिकारियों को भी यह भा नहीं रहा है।
समिति के संयुक्त महानिक समेर ढिल्लन ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘इस बारे में दिल्ली पुलिस से बात चल रही है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि वुवुजेला खिलाडियों के लिए परेशानी बनता है।’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके बारे में अंतिम फैसला अभी नहीं किया जा सका है।
इससे पहले समिति के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि वुवुजेला को खेलों के दौरान स्टेडियमों के ले जाने की इजाजत कैसे मिल सकती है।मल्होत्रा ने कहा, ‘फुटबाल विश्व कप में वुवुजेला का इस्तेमाल किया गया था। हो सकता है यह दक्षिण अफ्रीकी संस्कृति का हिस्सा हो। लेकिन हमारे देश के लिए यह सही नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘वुवुजेला से खिलाड़ियों का ध्यान बंटता है और इसका असर हमारे खिलाड़ियों पर भी पड़ सकता है। स्टेडियमों में खिलाड़ियों और दर्शकों का हौसला बढ़ाने के लिए हमारे यहां ढोल तथा अन्य वाद्ययंत्रों के इस्तेमाल की परंपरा है। हमें अपने खेल आयोजन के लिए किसी विदेशी बाजे की जरूरत नहीं है।’
उल्लेखनीय है कि आयोजन समिति ने हाल ही में खेलों के लिए मर्चेन्डाइज लांच के मौके पर वुवुजेला के अनावरण के साथ कहा था कि यह दर्शकों के लिए उनके जोश के इजहार का सशक्त माध्यम होगा। हालांकि इस घोषणा के साथ ही सवाल उठा था कि क्या खेल परिसरों के अंदर इन्हें ले जाने की इजाजत होगी।हालांकि लांचिंग के बावजूद वुवुजेला समेज कई सामग्री अब भी मर्चेंडाइज केंद्रों पर उपलब्ध नहीं हो पायी है। द्विवेदी ने बताया कि दर्शकों की सुविधा के लिए त्रिस्तरीय प्रबंधन व्यवस्था की गयी है। पहले चरण में गेट प्रबंधन है जिसके तहत दल के सदस्य मुख्य प्रवेश द्वार पर दर्शकों से मिलकर उन्हें उनके गंतव्य और प्रवेश के रास्तों की पूरी जानकारी देंगे।
यहां पर पहले मुख्य द्वारों पर टिकट की मैन्युअल चेकिंग होगी। फिर इसके बाद कम्प्यूटर से बारकोड जांच के जरिए उनकी जांच की जाएगी। टिकटों के पीछे यह उल्लेख किया होगा कि कौन सी चीजें स्टेडियम में ले जायी जा सकती हैं और कौन सी नहीं। अवांछित वस्तुओं को दर्शक अपने जोखिम पर बाहर छोड सकेंगे।
दूसरे स्तर पर दर्शक प्लाजा का प्रबंधन होगा। इस क्षेत्र में दर्शकों की खान-पान व्यवस्था और मर्चेंडाइज सुविधाएं उपलब्ध होंगी। हर खेल परिसर में एक विशेष टिकट बूथ बनाया गया है जो खेलों के शुरू होने और टिकट उपलब्ध होने तक कार्यरत रहेंगे।
तीसरे स्तर पर दर्शक दीर्घा का प्रबंधन है, जिसमें दर्शकों के बैठने, विकलांग और वरिष्ठ नागरिकों की विशेष सहायता आदि शामिल है। दर्शक दीर्घा में बैठने और खिलाडियों की हौसला अफजाई आदि के बारे में दिल्ली पुलिस ने विशेष दिशा निर्देश जारी किये हैं जो टिकट के साथ उपलब्ध होंगे। इनका उल्लंघन करने वालों को तुरंत मैदान से बाहर भेजा जा सकता है।
दर्शकों की सुविधा के लिए खेल परिसरों में प्रवेश आयोजन के समय से पहले ही शुरू कर दिया जाएगा और उद्घाटन एवं समापन समारोह में तो लगभग चार घंटे पहले प्रवेश शुरू कर दिया जाएगा।
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