Search This Blog

Sunday, September 5, 2010

लूट पड़े तो टूट पड़ो मार पड़े तो भाग पड़ो /सन्नी कुमार



“लूट पड़े तो टूट पड़ो मार पड़े तो भाग पड़ो” ऐसा ही हाल इन दिनों कॉमन आदमी के वेल्थ के साथ हो रहा है

सरकार ने कामनवेल्थ गेम्स के बारे में कहा था कि ऐसे मौके किसी भी देश के लिए बहुत कम आते है
सरकार ने ये बात क्या सोच कर कही थी ये तो वही जाने परन्तु इन खेलो के प्रभारियों ने इस बात को गाँठ बाँध ली और इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए अपनी जेबों के साथ साथ पैरो के मोजो तक को कॉमन आदमी के वेल्थ से भर लिया अर्थात ऐड़ी से चोटी तक मालामाल हो गए
सोचा कि ऐसे मौके किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत कम आते है जब दसो उंगलियों के साथ पूरा शरीर ही घी में डूबा हो,जितना घी बटोर सकते हो बटोर लो
कहने का मतलब है तक लूट पड़े तो टूट पड़ो
बात अभी तो अधूरी है आधी लाइन जो बाकी है


अब बात करते हैं दूसरी लाइन की यानी मार पड़े तो भाग पड़ो
मार इन्हें मीडिया की तरफ से पड़ी जब इन नोट खाने वाले और देश की इज्ज़त को बिना डकार के पचाने वालों की घोटाले की गठरी मीडिया ने खोली तब उनके भागने का समय आ गया
आनन फानन में 3 - 4 अफसरों ने इस्तीफा दे दिये या ले लिये और सरकार भी जाँच के आदेश देकर शांत हो गई
इस तरह इन अफसरों ने इस कहावत को सही सिद्ध कर दिया की लूट पड़े तो टूट पड़ो मार पड़े तो भाग पड़ो

No comments:

Post a Comment