How to reduce belly fat in one week...
Delhi Commonwealth Games 2010
Exclusive write-ups on CWG 2010
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Thursday, September 26, 2019
Monday, October 4, 2010
swimming 2010
Shubha Chittranjan reached into semis of 50 mtr butterfly.Indian men reached into final of 4+100 freestyle relay on the first day of cwg2010 acquatic championship here at spm swimming pool
Friday, October 1, 2010
Thursday, September 30, 2010
,PROMOTE DRUG FREE SPORTS & WIN CLEAN/Dr.Shila Jain,Dr.Jawahar Lal Jain
CHECK BEFORE USE IF IN DOUBT
. Important changes in 2010
. Recommended precautions
. Quick reference for Common Medication
TREATMENT GUIDELINES
ASTHMA : INHALERS AND BRONCHODILATORS
PERMITTED : Only with advanced medical notification in aerosol form or by inhalation
[ Beta-2 Agonists Salbutamol (Aerotaz, Asthalin) if conc.is less than 1600 microgram/over 24 hours]& Salmetrol by inhalation.
Oral Tab/Syp – Deriphylline, Unicontin, O-D phyllin , Doxolin
PROHIBITED : Asthalin, Bricanyl, Bambudil.
COUGH, COLD, FLU:
PERMITTED : All antibiotics, Corex, Bromhexine, Benadryl, Alex, Corex-DX
PROHIBITED – Pseudoephedrine (Alerid-D, zyncel-D, Cetrizet-D) prohibited if its conc.more than 150 microgram/ml.
DIARRHOEA :
PERMITTED: Imodium, Diarlop, Brakke, Tiniba, Flagyl
PROHIIBITED: Products containing Morphine.
PAIN / INFLAMMATION :
PERMITTED: All non-Steroidal Anti-Inflammatory like Brufen, Nimulid, Crocin, Voveran, Supanac, Retoz, Aroff, Flexon, Dolonex-DT.
PROHIBITED: Oral Corticosteroids- Medrol, Wyslone, Defcort.
Products containing Morphine, Fortwin, Pethidine.
SORE THROAT
PERMITTED: Soluble Aspirin, Disprin or Paracetamol gargle
VOMITING & ACIDITY
PERMITTED-Domstal, Stemetil, Perinorm, Rantec, Omez, Razo, Happi XT, Pan 40
SKIN CONDITIONS
PERMITTED: Local application creams are allowed e.g. Neosprin, Betadine, Betnovate-N, Flucort-N and do not require any therapeutic use exemption.
CONTRACEPTION
PERMITTED- All oral contraceptives are permitted e.g. Primolut-N, Ovral-L, Ovral, Orgametrine
THESE ARE EXAMPLES ONLY AND NOT A COMPLETE LIST .
RECOMMENDED PRECAUTIONS
•Do not take any medication given to you by others (athletes, coach etc.) without checking them first from the WADA list.
• ASTHMATICS- Ensure that your medication is ‘permitted’ and use is notified if necessary.
• Vitamins, herbal and nutritional supplements may contain banned substances not listed on the label. Use of these products is at the athlete’s own risk. (Note:DHEA, Vita Ex-gold are banned).
• Marijuana is banned.
• Alcohol is banned only in a few particular sports during competition e.g. Archery, Karate, Motorcycling, Modern Pentathlon, Bowling (FIQ) Powerboating, Automobile (FIA), Aeronautic.
E-mail: jljain@hotmail.com
Wednesday, September 29, 2010
डोपिंग/ डॉ. जवाहर लाल जैन
वाडा यानी विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी के स्पष्ट निर्देष हैं कि वाडा की गाईडलाईन्स को सभी भारतीय भाषाओं में उपलबध होना चाहिये|किंतु डोपिंग पर सभी भारतीय भाषाओं की तो बात छोड़ दे,किंतु संविधान की राजभाषा हिंदी में भी सामग्री भारतीय ओलंपिक संघ ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये उपलब्ध नहीं करायी है|इस ब्लॉग पर पहली बार डोपिंग के मूलभूत अर्थ को न केवल समझाने का बल्कि वाडा के निर्देषों का भी उल्लेख किया जा रहा है|
संपादक..
डोपिंग
डॉ. जवाहर लाल जैन(खेल चिकित्सा विशेषज्ञ)
आज हर खिलाड़ी आकाश की उन बुलंदियों को छूना चाहता है जहां उससे पहले कोई गया ना हो, इसी कशमकश में वह कोई भी तरीका अपनाने के लिये तैयार हो जाता है चाहे वह जायज़ या नाजायज़, वैध या अवैध वह छोटे से छोटे रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुँचना चाहता है और पदक जीतने की लालसा उसे प्रतिबंधित दवाओं की ओर अग्रसर करती हैं । डोंपिग का इतिहास बहुत पुराना है। तीसरी शताब्दी बी.सी में ग्रीक चिकित्सक गैलेन के अनुसार प्राचीन ग्रीक खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये स्टिमुलैन्ट (उत्तेजक) दवाओं का प्रयोग करते थें। खेल जगत में दवाओं के प्रयोग का सबसे सनसनीखेज हादसा हुआ 1988 के सिओल ओलंपिक के दौरान जब कनाडा के तेज धावक बैन जॉन्सन ने 100 मीटर दौड़ का अपना ही वि’व रिकार्ड तोड़ दिया। उसने 100 मीटर की दूरी 9.79 सैकन्ड में पूरी की। बैन जॉन्सन को एनाबॉलिक स्टीरोयड (स्टैनोजेलोल) को प्रयोग करने के अपराध में न केवल अपने स्वर्ण पदक से हाथ धोना पड़ा बल्कि पूरी दुनिया में न जॉन्सन अपनी फर्राटा दौड़ की वजह से कम और बल्कि दवाओं के अनुचित प्रयोग की वजह से ज़्यादा चर्चित हो गए ! इस हादसे से पूरी दुनिया के खेल जगत में एक तहलका मच गया ! बैन जॉन्सन पर दो वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया। दूसरी बार फिर 1993 में बैन जॉन्सन ऐनाबोलिक स्टीरोयड (टैस्टोस्टीरोन) के सेवन का दोषी पाया गया और उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया। 1990 के राष्ट्रमंडल खेल ऑकलैंड न्यूजीलैंड में भरतीय भारत्तोलक सुब्रतो पाल को ऐनाबोलिक स्टीरोयड के सेवन के लिए दोषी पाया गया । खेल जगत में इस प्रकार के हादसे शायद चलते ही रहेंगे !
आज सर्वप्रथम आवश्यक है कि हमारे खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों व खेल अधिकारियों को खेल में प्रतिबंधित दवाओं की पूर्ण सूची, उनके प्रभाव व दुष्प्रभाव की जानकारी हो। इन्हीं सब चीजों को नज़र में रखते हुए 1961 के टोक्यो ओलंपिक के दौरान खेल अधिकारियों ने विशेष रूप से यह महसूस किया कि खेल खेल भावना से, ईमानदारी से और बिना दवाओं के प्रयोग के खेले जाने चाहिए तभी अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने खेल में प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी करनी शुरू की
करीब हर वर्ष अब उसमें 2-3 दवायें बढ़ा दी जाती है । देखना यह है कि क्या अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ के अथक प्रयास इस दिशा में कुछ कर सकेंगे ।
डोपिंग की परिभाषा
खेल जगत में अनेक वर्षों से चली आ रही बेईमानी, जिसे नियंत्रण करना असंभव सा प्रतीत होता है, जो न किसी रैफरी, अम्पायर या जज को दिखाई देती है|
यह बेईमानी से शरीर के अन्दर की जाती है और आज इसे डोपिंग की संज्ञा दी जाती है । किसी भी प्राकृतिक या अप्राकृतिक पदार्थ को शरीर में लिया जाना और किसी भी रास्ते से जैसे मुंह से, इंजैक्शन से, नस से, फेफड़ों में सूँघकर या गुदा द्वारा अपने प्रदर्शन को बढ़ाने की मुख्य इच्छा से, बिना किसी इलाज के इरादे से उसे डोपिंग का नाम दिया जाता है और जब एथलीट को दवा परीक्षण किया जाता है तब उन्हें पेशाब का नमूना देने के लिये कहा जाता है। अत्यंत आधुनिक तकनीकों को प्रयोग कर उस पेशाब के नमूने में से खिलाड़ियों द्वारा प्रयोग की गई दवाओं का विश्लेषण किया जाता है । डोपिंग की इस परिभाषा को प्रयोग में लाने के लिए विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी ने कुछ प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी की है और समय समय पर कुछ दवाओं को बढ़ाने का निर्णय भी लिया जाता है ।
विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी द्वारा प्रतिबंधित दवाओं की सूची, वर्ष - 2010
1. प्रतिबंधित दवाओं की विभिन्न श्रेणियॉं
एस-1 एनाबोलिक एजेंन्ट्स
एस-2 हॉरमोन्स, ग्रोथ फैक्टर्स व संबंधित पदार्थ
एस-3 बीटा-2 ऐगोनिस्ट
एस-4 हॉरमोन एंटागोनिस्ट व मोडुलेटर्स
एस-5 डाइयूरेटिक्स एंव अन्य मास्किंग पदार्थ
2. प्रतिबंधित तरीके
एम-1 रक्त डोपिंग, ई.पी.ओ
एम-2 फार्माकोलोजिकल, रासायनिक एंव भौतिक हस्तोपचार
एम-3 जीन डोपिंग
नीचे लिखे पदार्थ सिर्फ प्रतियोगिताओं में ही प्रतिबंधित है जैसे-
एस-6 स्टिमुलैंट्स
एस-7 नारकोटिक्स
एस-8 कैनाबिनोयडस्
एस-9 ग्लूकोकोर्टिकोस्टीरोयडस्
3. कुछ विशेष खेलों में ही प्रतिबंधित
पी-1 एल्कोहल (शराब)
पी-2 बराब्लाकर्स
एस-1- ऐनाबोलिक ऐजेन्स्ट्स- यह पुरूषों में प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला हॉरमोन टैस्टोस्टीरोन एंव उसके डेरीवेटिव हैं
ये गोलियॉं, इंजैक्शन, डरमल पैच के रूप में उपलब्ध है
मुख्य उदाहरण- टैस्ओस्टीरोन, नैन्ड्रोलोन, मिथाइल टैस्टोस्टीरोन स्टेनोज़ोलोल वगैरह ऐनाबोलिक स्टीरोयड मॉंसपेशियों को बनाते हैं और कैटाबोलिक प्रभाव को कम करते है
इन दवाओं के सेवन से पुरूषों में दुष्परिणाम आने लगते है जैसे- शुक्राणुओ की मात्रा में कमी, नामर्दगी, स्तनों का आकार बड़ा होना, पेशाब करने में दर्द या परेशानी, समय से पहले गंजा होना, प्रोस्टेट ग्रंथि का बड़ा होना एंव सूजन ।
महिलाओं में दुष्परिणाम- पुरूषों जैसे फीचर्स आ जाना, मॅंह पर बालों का उग आना, आवाज़ का भारी होना, स्तनों का आकार छोटा होना, मुँह पर मुहांसे, मासिक धर्म में अनियमितता वगैरह ।
बीटा-2 ऐगोनिस्ट-ये सभी प्रतिबंधित हैं
केवल साल्ब्यूटामॉल अधिकतम स्तर 1600 माइक्रोग्राम@एम एल 24 घंटे में एंव सूँघने द्वारा साल्मीटरोल । इनके प्रयोग के लिये टी.यू.ई. नामक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है ।
उदाहरण- बैक्यूडिल, बीराडे, फोमटाज़, ऐस्थेलिन, ब्रिकानिल सूंघने के तरीके (इन्हेलर या नेबूलाईज़र) के ज़रिये से साल्ब्यूटामोल की इज़ाज़त है बशर्ते स्तर 1000 नैनोग्राम प्रति मिली. से ज़्यादा न हो ।
डाइयूरेटिक्स - यह दवाएं शरीर से अधिक एकत्रित पानी को निकालने के काम आती है और कुछ स्थितियों जैसे उच्च रक्त चाप के इलाज में प्रयोग होती है । खिलाड़ी इस दवा का सेवन अपना वज़न कम करने के लिये उन खेलों में जहॉं वज़न कैटेगरी हो और दवाओं की मिकदार को कम करने के लिये । मुख्यतः इसे बॉक्सर, कुश्ती बाज, भारोत्तोलक प्रयोग करते है ।
मुख्य उदाहरण - एमीलोराइड, ब्यूमैटानाइड, हाइड्रोक्लोरथाइज़ाइड, फ्रसामाइड वगैरह
2003 क्रिकेट विश्व कप के दौरान आस्ट्रेलियाई स्पिन गेंदबाज़ शेन वॉर्न एमीलोरोइड नामक डाइयूरेटिक के सेवन के दोषी पाये गये थे ।
स्टिमुलैन्ट्स - यह वह दवाऐं है जो थकान दूर करती हैं और प्रतिद्वदिता बढ़ाती है, व्यक्ति को चुस्त करने में मदद करती है, इन दवाओं के सेवन से चिन्ता, कंपन, दिल की गति को बढ़ना, रक्त चाप का बढ़ना, फालिस वगैरह देखे जाते है ।
विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी ने वर्ष 2010 की सूची में एक स्टिमुलैट को सूची में बढ़ाया है जो है मिथाइल हैकसानामिन यह नॉनस्पेसिफिक स्टिमुलैन्ट 2009 तक प्रतिबंधित सूची में नहीं था। यह खिलाड़ी नाक में डालने के लिये प्रयोग करते थे न्यूजीलैंड में यह पार्टी पिल के रूप में प्रयोग होती थी। यह डायटरी सप्लीमैंट के रूप में प्रयोग होती है जिसे एक्स-फोर्स या नॉक्सपंप के नाम से अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में उपलब्ध है । फ्लोरड्रीन के नाम से भी यह उपलब्ध है । यह भी कहा जाता है कि जेरेनियम नामक तेल में यह दवा पाई जाती है और इस तेल का प्रयोग कुछ पुडिंग, सॉस वगैरह में भी किया जाता है यहॉं तक कि फेस पैक में भी जेरेनियम तेल की मात्रा देखी जाती है ।
वर्ष 2011 से मिथाइल हैक्सानामिन को स्पैस्किसाइड स्टिमुलेन्ट्स की सूची में डाल दिया गया है ।
मुख्य उदाहरण-
स्टिमुलैट्स - ब्रोमेन्टन, फैन्केमिन, मिसोकार्ब, एडरीनेलिन, कैथिन, एकीड्रिन, स्यूडोएफीड्रिन
एफीड्रिन तभी प्रतिबंधित है जब पेशाब में उसकी मात्रा 10 माइकोग्राम@मिली. से अधिक हो ।
स्यूडोएकीड्रिन तभी प्रतिबंधित है जब उसकी मात्रा 150 मिग्रा@मिली से अधिक हो ।
नारकोटिक्स (दर्द नाशक दवायें) नारकोटिक्स ग्रुप में ’शक्तिशाली दर्दनाक दवाएं आती हैं, हालांकि ये दवाएं खिलाड़ी का प्रदर्शन नहीं सुधारती है। लेकिन चूंकि प्रतियोगिता का इतना दबाव खिलाड़ी पर होता है कि चोटग्रस्त होने के बावजूद वह इन दवाओं का सहारा लेकर खेलता रहता है जिससे उसकी चोट और गंभीर हो सकती है और उसे पता भी नहीं लगता ।
नारकोटिक्स दवाओं को दुष्प्रभाव
- मितली आना, उल्टी, चक्कर, खारिश, कब्ज़
- दौरे, गफलत, धुंधलाहट, पार्किन्सन रोग
कुछ प्रतिबंधित नारकोटिक्स
- ब्यूपरिनोरीफन, डैक्स्ट्रोमोरामाइड, मॉरफिन, पैथीडिन, पैन्टाजोसिन, ऑक्सीकोडोन, फैन्टेनिल वगैरह
नोट - कोडीन, डेक्स्ट्रोमिथोरफैन, ट्रेमेडोल, फोलकोडिन, प्रोपोक्सीफैन, इथाइलमॉरफिन, डैक्स्ट्रोप्रोपोक्सीफैन, डाइहाइड्रोकोडीन, डाईफिनोक्सीलेट प्रतिबंधित सूची में नहीं है ।
ग्लूकोकोर्टिकोस्टीसेयड्स - यह सूजन को कम करने वाली दवायें हैं । सभी ग्लूकोकोर्टिकोस्टीसेयड्स मुँह के द्वारा, नस में इंजैक्शन द्वारा, इन्ट्रामसकुलर इंजैक्शन द्वारा व गुदा द्वार द्वारा प्रयोग पर प्रतिबंध है । यह दवाएं नाक में, ऑंख में, मसूडों पर डाली जा सकती है और प्रतिबंधित नही है (लोकल एप्लीकेशन) यदि खिलाड़ी इन दवाओं को इन्ट्राआरटिकुलर, एपीडयूरेल, इन्ट्राडरमल या इनहेलेशन के तरीके से ले, तब टी.यू.ई. नामक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है
सामान्यतयः निम्नलिखित ग्लूकोकोर्टिको स्टीसेयड प्रतिबंधित सूची में आते है
- बैकलोमीथासोन
- बीटामीथासोन
- ब्यूडीसोनाइड
- डेसोनाइड
- डेक्सामीथासोन
- फ्लूडरोकोर्टिसोन
- फ्लूमीथासोन, फ्लूनीसोलाइड, मिथाइल प्रेडनीसोलोन, प्रेडनीसोलोन, प्रेडनीसोलोन, ट्रायमसिनोलोन
स्टीरोयड प्रिपारेशन्स को मुँह में, त्वचा पर, कान मे, नाक में, ऑंख में लगया जा सकता है और उस पर प्रतिबंध नहीं है,
कुछ विशेष परिस्थितियों में प्रतिबंधित दवायें (पदार्थ)
पी-1 शराब (एल्कोहल)- यह प्रतियोगिता के दौरान ही सिर्फ प्रतिबंधित है और वह भी केवल निम्नलिखित खेलों में एरोनोटिक्स, तीरंदा़जी, आटोमोबाइल, कराटे, मॉडर्न पैन्टाथालॉन, मोटर साइकिलिंग, नाइनपिन एंव टैन पिन बॉउलिंग, पॉवरबोटिंग
डॉपिंग वायेलेशन तभी समझा जायेगा जब रक्त में ’शराब की मात्रा 0.10 ग्राम प्रति मि.ली. से अधिक पायी जायेगी ।
सामान्यतयः शराब के सेवन से खेल प्रदर्शन में सुधार नहीं समझा जाता है । शराब के सेवन से एनऐरोबिक शक्ति प्रभावित होती है जबकि ऐरोबिक क्षमता, अधिकतम ऑक्सीजन लेने व ऑक्सीजन के प्रयोग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।
पी-2 बीटा ब्लाकर्स - बीटा ब्लाकर्स भी आज खेल में खिलाड़ियों द्वारा दुरूपयोग किये जाने वाला रोचक गु्रप है ये दवायें सामान्यतयः तीरंदाजी, निशानेबाज़ी, जिम्नास्टिक्स, गोल्फ, ब्रिज, बिलियर्ड, एंव स्नूकर, कुश्ती, सेलिंग, मॉडर्न पैन्टाथेलॉन, स्किंग, मोटरसाइकिलिंग वगैरह में प्रतिबंधित है। ये दवाएं सामान्यतयः दिल की गति को कम करती है एंव उच्च रक्तचाप को कम करती है । कुछ मुख्यः उदाहरण है
एटीनोलो, बीटाक्सेलोल, बाइसोप्रोलोल, कार्विडोलो, मेटाप्रोबोल, नेडोलोता, आंसप्रेनीलो, प्रोप्रेनोलोल, पिन्डोलोल, सेटेलोल, टाइमोलोल एंव संबंधित पदार्थ ।
आज के इस बदलते दौर में खिलाड़ी आर्युर्वेदिक (हर्बल) खुराक पदार्थ के पीछे दौड़ रहे है और कई बार जाने अनजाने में डोप में फंस जाते है । इसका जीता जागता उदाहरण है भारोत्तोलक कुजरानी देवी जो बीटा-एक्स गोल्ड नामक पदार्थ के सेवन में पकड़ी गयी जिसमें कूचिला नामक स्टिमुलैंट है और वह अंग्रेज़ी में स्ट्रिकनिन के नाम से जाना जाता है और स्ट्रिकनिन प्रतिबंधित है । आज आवश्यकता है कि खिलाड़ियों को उचित जानकारी से अवगत कराया जाये । प्रतिबंधित दवाओं की सूची प्रत्येक खिलाड़ी को दी जाये तभी खिलाड़ी खुद डोपिंग के दलदल में नहीं फसेंगा ।
नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेन्सी) को अधिक सकारात्मक रूख अपनाना होगा खिलाड़ियों को प्रतिबंधित व परमिसिबल दवाओं की सूची से अवगत कराना होगा। खेल वैज्ञानिकों की मौजूदगी व उनकी सहायता ही पदक के करीब पहुँचा सकती है । भारत में अब नेशनल डोप टैस्टिंग प्रयोगशाला उपलब्ध है जो नाडा (विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी) से मान्यता प्राप्त है और यह सभी आधुनिकतम उपकरणों से लैस है । हाल ही में सिंगापुर में सम्पन्न युवा ओलंपिक खेलों की टैस्टिंग भी दिल्ली की इस प्रयोगशाला ने की है और राष्ट्र मंडल खेलों की टैस्टिंग भी इसी प्रयोगशाला में होगी ।
यदि कोई खिलाड़ी अथक परिश्रम, उचित खुराक व खेल विज्ञान की मदद नहीं लेकर दवाओं के चक्कर में आकर डोप लेगा तो निश्चित ही वह पकड़ा जायेगा, इससे न केवल उसका नाम बल्कि देश की प्रतिष्ठा पर भी ऑंच आती है । अवैध तरीके छोड़कर ईमानदारी से पदक के दावेदार बनें ।
डॉ. जवाहर लाल जैन
खेल चिकित्सा विशेषज्ञ
मैडिकल एडमिनिस्ट्रेटर
दिल्ली विश्वविद्यालय
संपादक..
डोपिंग
डॉ. जवाहर लाल जैन(खेल चिकित्सा विशेषज्ञ)
आज हर खिलाड़ी आकाश की उन बुलंदियों को छूना चाहता है जहां उससे पहले कोई गया ना हो, इसी कशमकश में वह कोई भी तरीका अपनाने के लिये तैयार हो जाता है चाहे वह जायज़ या नाजायज़, वैध या अवैध वह छोटे से छोटे रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुँचना चाहता है और पदक जीतने की लालसा उसे प्रतिबंधित दवाओं की ओर अग्रसर करती हैं । डोंपिग का इतिहास बहुत पुराना है। तीसरी शताब्दी बी.सी में ग्रीक चिकित्सक गैलेन के अनुसार प्राचीन ग्रीक खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये स्टिमुलैन्ट (उत्तेजक) दवाओं का प्रयोग करते थें। खेल जगत में दवाओं के प्रयोग का सबसे सनसनीखेज हादसा हुआ 1988 के सिओल ओलंपिक के दौरान जब कनाडा के तेज धावक बैन जॉन्सन ने 100 मीटर दौड़ का अपना ही वि’व रिकार्ड तोड़ दिया। उसने 100 मीटर की दूरी 9.79 सैकन्ड में पूरी की। बैन जॉन्सन को एनाबॉलिक स्टीरोयड (स्टैनोजेलोल) को प्रयोग करने के अपराध में न केवल अपने स्वर्ण पदक से हाथ धोना पड़ा बल्कि पूरी दुनिया में न जॉन्सन अपनी फर्राटा दौड़ की वजह से कम और बल्कि दवाओं के अनुचित प्रयोग की वजह से ज़्यादा चर्चित हो गए ! इस हादसे से पूरी दुनिया के खेल जगत में एक तहलका मच गया ! बैन जॉन्सन पर दो वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया। दूसरी बार फिर 1993 में बैन जॉन्सन ऐनाबोलिक स्टीरोयड (टैस्टोस्टीरोन) के सेवन का दोषी पाया गया और उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया। 1990 के राष्ट्रमंडल खेल ऑकलैंड न्यूजीलैंड में भरतीय भारत्तोलक सुब्रतो पाल को ऐनाबोलिक स्टीरोयड के सेवन के लिए दोषी पाया गया । खेल जगत में इस प्रकार के हादसे शायद चलते ही रहेंगे !
आज सर्वप्रथम आवश्यक है कि हमारे खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों व खेल अधिकारियों को खेल में प्रतिबंधित दवाओं की पूर्ण सूची, उनके प्रभाव व दुष्प्रभाव की जानकारी हो। इन्हीं सब चीजों को नज़र में रखते हुए 1961 के टोक्यो ओलंपिक के दौरान खेल अधिकारियों ने विशेष रूप से यह महसूस किया कि खेल खेल भावना से, ईमानदारी से और बिना दवाओं के प्रयोग के खेले जाने चाहिए तभी अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने खेल में प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी करनी शुरू की
करीब हर वर्ष अब उसमें 2-3 दवायें बढ़ा दी जाती है । देखना यह है कि क्या अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ के अथक प्रयास इस दिशा में कुछ कर सकेंगे ।
डोपिंग की परिभाषा
खेल जगत में अनेक वर्षों से चली आ रही बेईमानी, जिसे नियंत्रण करना असंभव सा प्रतीत होता है, जो न किसी रैफरी, अम्पायर या जज को दिखाई देती है|
यह बेईमानी से शरीर के अन्दर की जाती है और आज इसे डोपिंग की संज्ञा दी जाती है । किसी भी प्राकृतिक या अप्राकृतिक पदार्थ को शरीर में लिया जाना और किसी भी रास्ते से जैसे मुंह से, इंजैक्शन से, नस से, फेफड़ों में सूँघकर या गुदा द्वारा अपने प्रदर्शन को बढ़ाने की मुख्य इच्छा से, बिना किसी इलाज के इरादे से उसे डोपिंग का नाम दिया जाता है और जब एथलीट को दवा परीक्षण किया जाता है तब उन्हें पेशाब का नमूना देने के लिये कहा जाता है। अत्यंत आधुनिक तकनीकों को प्रयोग कर उस पेशाब के नमूने में से खिलाड़ियों द्वारा प्रयोग की गई दवाओं का विश्लेषण किया जाता है । डोपिंग की इस परिभाषा को प्रयोग में लाने के लिए विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी ने कुछ प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी की है और समय समय पर कुछ दवाओं को बढ़ाने का निर्णय भी लिया जाता है ।
विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी द्वारा प्रतिबंधित दवाओं की सूची, वर्ष - 2010
1. प्रतिबंधित दवाओं की विभिन्न श्रेणियॉं
एस-1 एनाबोलिक एजेंन्ट्स
एस-2 हॉरमोन्स, ग्रोथ फैक्टर्स व संबंधित पदार्थ
एस-3 बीटा-2 ऐगोनिस्ट
एस-4 हॉरमोन एंटागोनिस्ट व मोडुलेटर्स
एस-5 डाइयूरेटिक्स एंव अन्य मास्किंग पदार्थ
2. प्रतिबंधित तरीके
एम-1 रक्त डोपिंग, ई.पी.ओ
एम-2 फार्माकोलोजिकल, रासायनिक एंव भौतिक हस्तोपचार
एम-3 जीन डोपिंग
नीचे लिखे पदार्थ सिर्फ प्रतियोगिताओं में ही प्रतिबंधित है जैसे-
एस-6 स्टिमुलैंट्स
एस-7 नारकोटिक्स
एस-8 कैनाबिनोयडस्
एस-9 ग्लूकोकोर्टिकोस्टीरोयडस्
3. कुछ विशेष खेलों में ही प्रतिबंधित
पी-1 एल्कोहल (शराब)
पी-2 बराब्लाकर्स
एस-1- ऐनाबोलिक ऐजेन्स्ट्स- यह पुरूषों में प्राकृतिक रूप में पाया जाने वाला हॉरमोन टैस्टोस्टीरोन एंव उसके डेरीवेटिव हैं
ये गोलियॉं, इंजैक्शन, डरमल पैच के रूप में उपलब्ध है
मुख्य उदाहरण- टैस्ओस्टीरोन, नैन्ड्रोलोन, मिथाइल टैस्टोस्टीरोन स्टेनोज़ोलोल वगैरह ऐनाबोलिक स्टीरोयड मॉंसपेशियों को बनाते हैं और कैटाबोलिक प्रभाव को कम करते है
इन दवाओं के सेवन से पुरूषों में दुष्परिणाम आने लगते है जैसे- शुक्राणुओ की मात्रा में कमी, नामर्दगी, स्तनों का आकार बड़ा होना, पेशाब करने में दर्द या परेशानी, समय से पहले गंजा होना, प्रोस्टेट ग्रंथि का बड़ा होना एंव सूजन ।
महिलाओं में दुष्परिणाम- पुरूषों जैसे फीचर्स आ जाना, मॅंह पर बालों का उग आना, आवाज़ का भारी होना, स्तनों का आकार छोटा होना, मुँह पर मुहांसे, मासिक धर्म में अनियमितता वगैरह ।
बीटा-2 ऐगोनिस्ट-ये सभी प्रतिबंधित हैं
केवल साल्ब्यूटामॉल अधिकतम स्तर 1600 माइक्रोग्राम@एम एल 24 घंटे में एंव सूँघने द्वारा साल्मीटरोल । इनके प्रयोग के लिये टी.यू.ई. नामक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है ।
उदाहरण- बैक्यूडिल, बीराडे, फोमटाज़, ऐस्थेलिन, ब्रिकानिल सूंघने के तरीके (इन्हेलर या नेबूलाईज़र) के ज़रिये से साल्ब्यूटामोल की इज़ाज़त है बशर्ते स्तर 1000 नैनोग्राम प्रति मिली. से ज़्यादा न हो ।
डाइयूरेटिक्स - यह दवाएं शरीर से अधिक एकत्रित पानी को निकालने के काम आती है और कुछ स्थितियों जैसे उच्च रक्त चाप के इलाज में प्रयोग होती है । खिलाड़ी इस दवा का सेवन अपना वज़न कम करने के लिये उन खेलों में जहॉं वज़न कैटेगरी हो और दवाओं की मिकदार को कम करने के लिये । मुख्यतः इसे बॉक्सर, कुश्ती बाज, भारोत्तोलक प्रयोग करते है ।
मुख्य उदाहरण - एमीलोराइड, ब्यूमैटानाइड, हाइड्रोक्लोरथाइज़ाइड, फ्रसामाइड वगैरह
2003 क्रिकेट विश्व कप के दौरान आस्ट्रेलियाई स्पिन गेंदबाज़ शेन वॉर्न एमीलोरोइड नामक डाइयूरेटिक के सेवन के दोषी पाये गये थे ।
स्टिमुलैन्ट्स - यह वह दवाऐं है जो थकान दूर करती हैं और प्रतिद्वदिता बढ़ाती है, व्यक्ति को चुस्त करने में मदद करती है, इन दवाओं के सेवन से चिन्ता, कंपन, दिल की गति को बढ़ना, रक्त चाप का बढ़ना, फालिस वगैरह देखे जाते है ।
विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी ने वर्ष 2010 की सूची में एक स्टिमुलैट को सूची में बढ़ाया है जो है मिथाइल हैकसानामिन यह नॉनस्पेसिफिक स्टिमुलैन्ट 2009 तक प्रतिबंधित सूची में नहीं था। यह खिलाड़ी नाक में डालने के लिये प्रयोग करते थे न्यूजीलैंड में यह पार्टी पिल के रूप में प्रयोग होती थी। यह डायटरी सप्लीमैंट के रूप में प्रयोग होती है जिसे एक्स-फोर्स या नॉक्सपंप के नाम से अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में उपलब्ध है । फ्लोरड्रीन के नाम से भी यह उपलब्ध है । यह भी कहा जाता है कि जेरेनियम नामक तेल में यह दवा पाई जाती है और इस तेल का प्रयोग कुछ पुडिंग, सॉस वगैरह में भी किया जाता है यहॉं तक कि फेस पैक में भी जेरेनियम तेल की मात्रा देखी जाती है ।
वर्ष 2011 से मिथाइल हैक्सानामिन को स्पैस्किसाइड स्टिमुलेन्ट्स की सूची में डाल दिया गया है ।
मुख्य उदाहरण-
स्टिमुलैट्स - ब्रोमेन्टन, फैन्केमिन, मिसोकार्ब, एडरीनेलिन, कैथिन, एकीड्रिन, स्यूडोएफीड्रिन
एफीड्रिन तभी प्रतिबंधित है जब पेशाब में उसकी मात्रा 10 माइकोग्राम@मिली. से अधिक हो ।
स्यूडोएकीड्रिन तभी प्रतिबंधित है जब उसकी मात्रा 150 मिग्रा@मिली से अधिक हो ।
नारकोटिक्स (दर्द नाशक दवायें) नारकोटिक्स ग्रुप में ’शक्तिशाली दर्दनाक दवाएं आती हैं, हालांकि ये दवाएं खिलाड़ी का प्रदर्शन नहीं सुधारती है। लेकिन चूंकि प्रतियोगिता का इतना दबाव खिलाड़ी पर होता है कि चोटग्रस्त होने के बावजूद वह इन दवाओं का सहारा लेकर खेलता रहता है जिससे उसकी चोट और गंभीर हो सकती है और उसे पता भी नहीं लगता ।
नारकोटिक्स दवाओं को दुष्प्रभाव
- मितली आना, उल्टी, चक्कर, खारिश, कब्ज़
- दौरे, गफलत, धुंधलाहट, पार्किन्सन रोग
कुछ प्रतिबंधित नारकोटिक्स
- ब्यूपरिनोरीफन, डैक्स्ट्रोमोरामाइड, मॉरफिन, पैथीडिन, पैन्टाजोसिन, ऑक्सीकोडोन, फैन्टेनिल वगैरह
नोट - कोडीन, डेक्स्ट्रोमिथोरफैन, ट्रेमेडोल, फोलकोडिन, प्रोपोक्सीफैन, इथाइलमॉरफिन, डैक्स्ट्रोप्रोपोक्सीफैन, डाइहाइड्रोकोडीन, डाईफिनोक्सीलेट प्रतिबंधित सूची में नहीं है ।
ग्लूकोकोर्टिकोस्टीसेयड्स - यह सूजन को कम करने वाली दवायें हैं । सभी ग्लूकोकोर्टिकोस्टीसेयड्स मुँह के द्वारा, नस में इंजैक्शन द्वारा, इन्ट्रामसकुलर इंजैक्शन द्वारा व गुदा द्वार द्वारा प्रयोग पर प्रतिबंध है । यह दवाएं नाक में, ऑंख में, मसूडों पर डाली जा सकती है और प्रतिबंधित नही है (लोकल एप्लीकेशन) यदि खिलाड़ी इन दवाओं को इन्ट्राआरटिकुलर, एपीडयूरेल, इन्ट्राडरमल या इनहेलेशन के तरीके से ले, तब टी.यू.ई. नामक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है
सामान्यतयः निम्नलिखित ग्लूकोकोर्टिको स्टीसेयड प्रतिबंधित सूची में आते है
- बैकलोमीथासोन
- बीटामीथासोन
- ब्यूडीसोनाइड
- डेसोनाइड
- डेक्सामीथासोन
- फ्लूडरोकोर्टिसोन
- फ्लूमीथासोन, फ्लूनीसोलाइड, मिथाइल प्रेडनीसोलोन, प्रेडनीसोलोन, प्रेडनीसोलोन, ट्रायमसिनोलोन
स्टीरोयड प्रिपारेशन्स को मुँह में, त्वचा पर, कान मे, नाक में, ऑंख में लगया जा सकता है और उस पर प्रतिबंध नहीं है,
कुछ विशेष परिस्थितियों में प्रतिबंधित दवायें (पदार्थ)
पी-1 शराब (एल्कोहल)- यह प्रतियोगिता के दौरान ही सिर्फ प्रतिबंधित है और वह भी केवल निम्नलिखित खेलों में एरोनोटिक्स, तीरंदा़जी, आटोमोबाइल, कराटे, मॉडर्न पैन्टाथालॉन, मोटर साइकिलिंग, नाइनपिन एंव टैन पिन बॉउलिंग, पॉवरबोटिंग
डॉपिंग वायेलेशन तभी समझा जायेगा जब रक्त में ’शराब की मात्रा 0.10 ग्राम प्रति मि.ली. से अधिक पायी जायेगी ।
सामान्यतयः शराब के सेवन से खेल प्रदर्शन में सुधार नहीं समझा जाता है । शराब के सेवन से एनऐरोबिक शक्ति प्रभावित होती है जबकि ऐरोबिक क्षमता, अधिकतम ऑक्सीजन लेने व ऑक्सीजन के प्रयोग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।
पी-2 बीटा ब्लाकर्स - बीटा ब्लाकर्स भी आज खेल में खिलाड़ियों द्वारा दुरूपयोग किये जाने वाला रोचक गु्रप है ये दवायें सामान्यतयः तीरंदाजी, निशानेबाज़ी, जिम्नास्टिक्स, गोल्फ, ब्रिज, बिलियर्ड, एंव स्नूकर, कुश्ती, सेलिंग, मॉडर्न पैन्टाथेलॉन, स्किंग, मोटरसाइकिलिंग वगैरह में प्रतिबंधित है। ये दवाएं सामान्यतयः दिल की गति को कम करती है एंव उच्च रक्तचाप को कम करती है । कुछ मुख्यः उदाहरण है
एटीनोलो, बीटाक्सेलोल, बाइसोप्रोलोल, कार्विडोलो, मेटाप्रोबोल, नेडोलोता, आंसप्रेनीलो, प्रोप्रेनोलोल, पिन्डोलोल, सेटेलोल, टाइमोलोल एंव संबंधित पदार्थ ।
आज के इस बदलते दौर में खिलाड़ी आर्युर्वेदिक (हर्बल) खुराक पदार्थ के पीछे दौड़ रहे है और कई बार जाने अनजाने में डोप में फंस जाते है । इसका जीता जागता उदाहरण है भारोत्तोलक कुजरानी देवी जो बीटा-एक्स गोल्ड नामक पदार्थ के सेवन में पकड़ी गयी जिसमें कूचिला नामक स्टिमुलैंट है और वह अंग्रेज़ी में स्ट्रिकनिन के नाम से जाना जाता है और स्ट्रिकनिन प्रतिबंधित है । आज आवश्यकता है कि खिलाड़ियों को उचित जानकारी से अवगत कराया जाये । प्रतिबंधित दवाओं की सूची प्रत्येक खिलाड़ी को दी जाये तभी खिलाड़ी खुद डोपिंग के दलदल में नहीं फसेंगा ।
नाडा (नेशनल एंटी डोपिंग एजेन्सी) को अधिक सकारात्मक रूख अपनाना होगा खिलाड़ियों को प्रतिबंधित व परमिसिबल दवाओं की सूची से अवगत कराना होगा। खेल वैज्ञानिकों की मौजूदगी व उनकी सहायता ही पदक के करीब पहुँचा सकती है । भारत में अब नेशनल डोप टैस्टिंग प्रयोगशाला उपलब्ध है जो नाडा (विश्व एंटी डोपिंग एजेन्सी) से मान्यता प्राप्त है और यह सभी आधुनिकतम उपकरणों से लैस है । हाल ही में सिंगापुर में सम्पन्न युवा ओलंपिक खेलों की टैस्टिंग भी दिल्ली की इस प्रयोगशाला ने की है और राष्ट्र मंडल खेलों की टैस्टिंग भी इसी प्रयोगशाला में होगी ।
यदि कोई खिलाड़ी अथक परिश्रम, उचित खुराक व खेल विज्ञान की मदद नहीं लेकर दवाओं के चक्कर में आकर डोप लेगा तो निश्चित ही वह पकड़ा जायेगा, इससे न केवल उसका नाम बल्कि देश की प्रतिष्ठा पर भी ऑंच आती है । अवैध तरीके छोड़कर ईमानदारी से पदक के दावेदार बनें ।
डॉ. जवाहर लाल जैन
खेल चिकित्सा विशेषज्ञ
मैडिकल एडमिनिस्ट्रेटर
दिल्ली विश्वविद्यालय
Tuesday, September 28, 2010
CWG and WADA (World Anti Doping Agency). /Dr. JawaharL. Jain
Winning in sports at all costs does not permit the philosophy of
sports to degenerate merely into a competition amongst
laboratories, scientists and athletes. Drugs spectre in sports
though has become widespread but it threatens the safety, health
and longevity of athletes while perverting the original intent of
sports.
To promote the true ethics of sports the first ever mini directory
on drug in sports was published in 1994 which had got
tremendous acclaim not only from Indian sportsmen but from
international sports fraternity as well as the Indian press.
6 Edition was brought out in 2005. This 8 Edition brings to
you the latest list of banned and permissible drugs with Indian
examples as well as the effects and side effects of banned drugs
in brief. The directory also contains the generic names of all
permissible drugs. As the quest for sports excellence in the
world has become a slogan of the present century. It is expected
that goal of achieving enough literacy on drugs and sports shall
be sufficiently met with by this ready reckoner by sports
fraternity.
Drugs used in sports which were earlier being looked after by
IOC now comes under the domain of WADA (World Anti Doping Agency). Excepting these
substances for which a quantitative reporting threshold isspecifically identified in the prohibited list, the detected
presence of any quantity of a prohibited substance or its
metabolites or markers in anAthlete's sample shall constitute an
anti doping rule violation.
Dr. JawaharL. Jain
Sr. Physician&MedicalAdministrator
University Of Delhi
Athletic Federation of India
Ex- Secy. GeneralSAFGames
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